इंदौर। शहर में होने वाली ज्यादातर वाहन चोरी के पीछे देवास का कंजर गिरोह है। कल पकड़े गए दो कंजर गिरोह के सदस्यों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि अब वे दिन में आते हैं और बस से जाते हैं। शहर में हर साल वाहन चोरी की 3 हजार से अधिक घटनाएं हो रही हैं। रोजाना दस से पंद्रह वाहन चोरी हो रहे हैं। इसके पीछे दो गिरोह प्रमुख हैं। पहला देवास का कंजर गिरोह और दूसरा धार-टांडा का गिरोह। कंजर गिरोह के निशाने पर पूर्वी क्षेत्र के थाने हैं तो धार-टांडा के गिरोह के निशाने पर पश्चिम क्षेत्र के। कंजरों की बात करें तो ये टुकड़ों में आते हैं और गाड़ियां चुराकर ले जाते हैं।
एडीसीपी अमरेंद्रसिंह ने बताया कि पहले कंजर गिरोह के सदस्य रात में एक बाइक पर तीन बैठकर आते थे और दो गाड़ियां चुराकर चंपत हो जाते थे। लोगों को गाड़ी चोरी का पता चलने के पहले वे देवास पहुंच जाते थे। ऐसी दर्जन वारदातों में कंजर गिरोह के लोग कैद हुए थे। जब पुलिस ने इनके आने-जाने के रास्ते पर चौकसी बढ़ाई तो इन लोगों ने तरीका बदल लिया। कल लसूड़िया पुलिस ने पीपलरावां के ललित उर्फ लल्लू और रिकेन उर्फ अंकेश को पकड़ा और उनके पास से चोरी के 19 वाहन बरामद किए थे। इन आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि अब वे लोग दिन में आते हैं और बस से बायपास या रिंग रोड पर उतरते हैं। इसके बाद शहर में रैकी करते हैं। पार्किंग या फिर सुनसान स्थान से तीन गाड़ियां एक बार में चुराकर ले जाते हंै। कल बस से आने के दौरान ही पुलिस ने उनको पकड़ा था। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके गांव के दो दर्जन से अधिक युवा इंदौर में वाहन चुराने आते हैं। पुलिस ने उनकी सूची बनाकर छापा भी मारा, लेकिन सफलता नहीं मिली।
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