नई दिल्ली (New Delhi) । जंगल और पहाड़ों (forest and mountains) में ठिकाना बना रहे आतंकी (terrorist) पाक सेना और आईएसआई (ISI) द्वारा खासतौर पर प्रशिक्षित (trained) किए जा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान (Pakistan) की जम्मू कश्मीर में अस्थिरता की मुहिम को तीसरे देश की मदद मिल रही है। यहीं नहीं अफगान लड़ाकों को भी प्रशिक्षण में शामिल किया गया है। एजेंसियां सीमा पार की पूरी साजिश के सूत्र खंगालने के अलावा तकनीकी व ह्यूमन इंटेलिजेंस के मिश्रित प्रयोग और तालमेल की वकालत कर रही हैं। सीआरपीएफ के अलावा अन्य एजेंसियों को भी नई आतंकी रणनीति के मद्देनजर अपने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को नए सिरे से तैयार करने को कहा गया है।
सूत्रों ने कहा, आतंकियों पर लगातार प्रहार से हताश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने अब गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित विदेशी आतंकियों को घाटी में भेजना शुरू किया है। यह आतंकी स्थानीय कैडर की मदद से पहाड़ों और जंगलों में अपने ठिकाने बना रहे हैं। वहीं से सुरक्षाबलों पर हमले का षड्यंत्र रचते हैं। यह आतंकी न केवल पहाड़ों पर गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित हैं, बल्कि आधुनिक हथियारों और उपकरणों से भी लैस हैं।
पिछले तीन वर्ष के दौरान आतंकियों ने नियंत्रण रेखा के सटे क्षेत्रों या आबादी से दूर घने जंगलों और पहाड़ों पर ही ज्यादातर हमलों को अंजाम दिया। इस दौरान पीर पंजाल की पहाड़ियों के दोनों तरफ हुए हमलों में कई जवान शहीद हुए हैं ।
जंगलों और पहाड़ों में खानाबदोश गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के बने ढांचे सर्दियों में खाली रहते हैं और आतंकी आसानी से वहां आश्रय पा जाते हैं। यहां से आतंकियों की निचले क्षेत्रों में सुरक्षाबल की गतिविधियों पर भी सीधी नजर रहती है। पूरे नेटवर्क पर करारा प्रहार के बावजूद आतंकी गुटों का स्थानीय मुखबिरों का नेटवर्क अभी बना हुआ है। ये भी सेना और सुरक्षा बलों के मूवमेंट और कमजोर कड़ी की जानकारी आतंकियों तक पहुंचाते हैं।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षाबल आतंकियों पर करारा प्रहार कर रहे हैं। ऐसे में आईएसआई और पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगनाओं ने आतंकियों को बस्तियों के आसपास जाने से बचने की हिदायत दी है। अब आतंकियों को प्रशिक्षित कर जंगलों और पहाड़ों में सुरक्षाबल पर हमला करके वहां से भाग निकलने को कहा जा रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved