नई दिल्ली । जाति आधारित जनगणना (Caste based Census) से सामाजिक समरसता एवं एकात्मता (Social Harmony and Unity) खंडित न हो (Should Not Break) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जाति आधारित जनगणना पर अपना स्टैंड साफ करते हुए कहा है कि इस का उपयोग समाज के सर्वांगीण उत्थान के लिए हो। आरएसएस का कहना है कि यह करते समय सभी पक्ष सुनिश्चित करें कि किसी भी कारण सामाजिक समरसता एवं एकात्मता खंडित न हो।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इसे लेकर बयान जारी कर कहा है, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी भी प्रकार के भेदभाव एवं विषमता से मुक्त समरसता एवं सामाजिक न्याय पर आधारित हिन्दू समाज के लक्ष्य को लेकर सतत कार्यरत है। यह सत्य है कि विभिन्न ऐतिहासिक कारणों से समाज के अनेक घटक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ गए। उनके विकास, उत्थान एवं सशक्तिकरण की दृष्टि से विभिन्न सरकारें समय-समय पर अनेक योजनाएं एवं प्रावधान करती हैं, जिनका संघ पूर्ण समर्थन करता है।”
आंबेकर ने आगे कहा, “पिछले कुछ समय से जाति आधारित जनगणना की चर्चा पुनः प्रारंभ हुई है। हमारा यह मत है कि इसका उपयोग समाज के सर्वांगीण उत्थान के लिए हो और यह करते समय सभी पक्ष यह सुनिश्चित करें कि किसी भी कारण से सामाजिक समरसता एवं एकात्मता खंडित ना हो।”
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