इंदौर। इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल पर पहली बार ध्वनि प्रदूषण की जांच होने जा रही है। इसे नॉइस मैपिंग एंड डिक्लेरेशन वर्क कहा गया है। यह काम एक्सपर्ट कंपनी द्वारा करवाया जाएगा। इसका मकसद यह पता करना है कि एयरपोर्ट पर विमानों के संचालन से कितना ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर इंदौर में मौजूदा विमानों के संचालन समय और भविष्य में आने वाले बड़े विमानों के लिए योजना तैयार की जाएगी।
इंदौर एयरपोर्ट पर नॉइन मैपिंग एंड डिक्लेरेशन के लिए एयरपोर्ट प्रबंधन ने हाल ही में टेंडर जारी करते हुए इसके लिए एक्सपर्ट कंपनियों को बुलवाया है। एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले लोग इस बात को आसानी से समझ सकते हैं कि विमानों को उडऩे और उतरने के समय कितना शोर होता है। एयरपोर्ट प्रबंधन भी इस बात को लेकर गंभीर है कि इस शोर को कैसे नियंत्रित किया जाए, जिससे जन स्वास्थ्य प्रभावित ना हो, इसे देखते हुए ही एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया के मार्गदर्शन में यह सर्वे इंदौर एयरपोर्ट पर होने जा रहा है।
हर मिनट शोर की होगी जांच रिपोर्ट के आधार पर बदला जा सकता है उड़ानों का समय
एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस कार्य के दौरान एक्सपर्ट कंपनी विशेष उपकरणों के माध्यम से एयरपोर्ट पर 24 घंटों में होने वाले ध्वनि प्रदूषण की हर मिनट के आधार पर जांच करेगी। यह कई दिनों तक लगातार की जाएगी। इससे पता लगाया जाएगा कि किस समय कितना ध्वनि प्रदूषण हो रहा है और यह कब लिमिट के अंदर है और कब लिमिट से ज्यादा है। इस रिपोर्ट के आधार पर अगर ऐसा सामने आता है कि किसी खास समय काफी ज्यादा उड़ानों के होने के कारण काफी ज्यादा ध्वनि प्रदूषण हो रहा है तो संभव है कि आने वाले दिनों में उस समय उड़ानों का समय बदला जाए और नई उड़ानों को अनुमति ना दी जाए।
सुबह और शाम के समय सबसे ज्यादा शोर
एयरपोर्ट पर सुबह और शाम के समय उड़ानों की सबसे ज्यादा आवाजाही होती है। इसके कारण इस समय लगातार विमानों के उडऩे और उतरने से तेज शोर सुनाई देता है। एयरपोर्ट पर और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए रोज की बात हो चुकी है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह शोर लोगों के सुनने की क्षमता प्रभावित कर सकता है।
भविष्य को ध्यान में रखते हुए हो रहा सर्वे
एयरपोर्ट के अधिकारियों ने बताया कि इंदौर एयरपोर्ट पर अभी सामान्य विमान ही आते हैं, जो ज्यादा शोर नहीं करते हैं, लेकिन जिस तरह से एयरपोर्ट पर यात्री संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए उम्मीद है कि आने वाले समय में यहां चार इंजन के बड़े विमान जैसे बोइंग 747, 777 और एयरबस 340 भी आएंगे। ये अभी मौजूदा दो इंजन वाले विमानों की अपेक्षा काफी ज्यादा बड़े होने से ज्यादा शोर भी करते हैं, क्योंकि एयरपोर्ट के आसपास अब काफी ज्यादा बसाहट हो चुकी है, इसलिए बड़े विमानों के आवागमन के समय कैसे ध्वनि प्रदूषण कम रखा जाए, इसे लेकर भी कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
सर्वे पर 40 लाख रुपए होंगे खर्च
एयरपोर्ट पर होने वाले नॉइस मैपिंग एंड डिक्लेरेशन सर्वे के लिए 4 जनवरी को टेंडर खोले जाएंगे। टेंडर खोले जाने के तीन माह में कंपनी को काम शुरू करना होगा। यह सर्वे दो माह तक लगातार चलेगा। कंपनी द्वारा सर्वे के बाद तैयार की जाने वाले रिपोर्ट को एयरपोर्ट प्रबंधन एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया और डीजीसीए को भेजेगा, ताकि इसके आधार पर आगे के निर्णय लिए जा सकें।
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