नई दिल्ली (New Delhi)। सरकारी कर्मचारियों (Government Empoyees) को नौकरी के दौरान कई सहूलियतों के साथ लोन की भी एक विशेष सुविधा (special facility of loan also) दी जाती है. अपनी नौकरी के दौरान लगभग हर सरकारी कर्मचारी इस सुविधा का लाभ भी उठाता है. इसमें सबसे खास बात ये है कि लोन चुकाने की पूरी आजादी (Complete freedom to repay the loan) मिलती है और इस पर ब्याज भी नहीं वसूला जाता. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी कौन-सी स्कीम है, जो बिना ब्याज के ही लोन की सुविधा देती है।
दरअसल, साल 2004 से पहले सरकारी नौकरी करने वालों का जनरल प्रोविडंट फंड (GPF) खाता खोला जाता था. इस खाते में कर्मचारी की सैलरी से हर महीने एक निश्चित राशि काटकर जमा की जाती थी, जो रिटायरमेंट या नौकरी के दौरान जरूरत पर मिलती है. इस खाते की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे निकाली गई राशि पर कर्मचारी को ब्याज नहीं चुकाना पड़ता है. हालांकि, 2004 से नई पेंशन स्कीम (NPS) लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए जीपीएफ खाते खुलने बंद हो गए हैं।
जीपीएफ खाते में जमा करने का रूल
जीपीएफ खाते में सरकारी कर्मचारी की बेसिक और डीए सैलरी का 6 फीसदी हिस्सा हर महीने जमा किया जाता है. यह न्यूनतम राशि है, जबकि अधिकतम 100 फीसदी हिस्सा भी जमा कराया जा सकता है. यह पैसा एक तरह से भविष्य के लिए जमा किया जाता है. इस पर सरकार की ओर से हर साल ब्याज भी मिलता है. अभी जीपीएफ पर 7.1 फीसदी का सालाना ब्याज है, जो हर तिमाही बदलता रहता है।
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