लंदन (London)। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने बृहस्पतिवार को दुनिया के तमाम देशों की सरकारों (Governments of all countries of the world) से आग्रह किया कि किसी भी तंबाकू उत्पाद (tobacco products) की तरह वे ई-सिगरेट (e-cigarettes) पर भी प्रतिबंध लगाएं। डब्ल्यूएचओ ने कहा, अलग फ्लेवर में पेश की जा रहीं ई-सिगरेट युवाओं को तंबाकू की लत का शिकार (victim of tobacco addiction) बना रही हैं। तंबाकू कंपनियां ई-सिगरेट को धूम्रपान के विकल्प के तौर पर पेश कर रही हैं। महानिदेशक टेड्रॉस गेेब्रेयसिस ने सख्त उपाय लागू करने का आग्रह करते हुए कहा कि 13-14 वर्ष के बच्चे ई-सिगरेट का उपयोग कर रहे हैं, जिससे वे निकोटिन के आदी हो रहे हैं। उन्होंने कानून में बदलावों का आह्वान करते हुए कहा, इसका सार्वजनिक इस्तेमाल रुकना चाहिए।
खतरनाक है सिगरेट कंपनियों का रवैया
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के पास राष्ट्रीय नियमों पर कोई अधिकार नहीं है। लेकिन, उम्मीद है कि सिफारिशों को सभी देश स्वेच्छा से अपनाएंगे, जैसा कि अब तक होता आया है। फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल और ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको जैसे कुछ दिग्गज सिगरेट कंपनियां वेप्स के जरिये सिगरेट की खपत के लिए भविष्य की वैकल्पिक रणनीतियों पर काम कर रही हैं। यह खतरनाक है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved