नई दिल्ली (New Dehli) । यूपी की एक महिला जज (female judge) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस (Chief Justice) को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु (Demand for death wish) की मांग की है। जज ने अपने वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी पर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं। जज ने लिखा कि वह बेहद दर्द और निराशा में यह पत्र लिख रही हैं। यह पत्र गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
रिपोर्ट के अनुसार दो पन्नों के इस पत्र में जज ने लिखा “मेरा हद दर्ज तक यौन उत्पीड़न किया गया है। मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मैं एक अवांछित कीट की तरह महसूस करती हूं और मुझसे दूसरों को न्याय दिलाने की आशा है।’ उन्होंने लिखा, ‘मैं इस पत्र को बेहद दर्द और निराशा में लिख रही हूं। इस पत्र का मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कोई और उद्देश्य नहीं है। मेरे सबसे बड़े अभिभावक (CJI) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें।’
महिला जज ने लिखा- ‘मैं बहुत उत्साह और विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगा। मुझे क्या पता था कि जल्द ही मुझे न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा, मैं जिस भी दरवाजे पर जाऊंगी। मेरी सेवा के थोड़े से समय में, मुझे खुले दरबार में मंच पर दुर्व्यवहार सहने का दुर्लभ सम्मान मिला है।’
छह महीने पहले अपनी पिछली पोस्टिंग में अपने वरिष्ठ पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला न्यायिक अधिकारी ने लिखा कि उन्हें निष्पक्ष जांच मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। न्याय तो दूर की बात है। महिला जज ने आरोप लगाया कि उन्हें रात में अपने वरिष्ठ से मिलने के लिए कहा गया था। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने आत्महत्या करके मरने की कोशिश की थी, लेकिन प्रयास सफल नहीं हुआ।
उन्होंने लिखा- ‘मुझे अब जीने की कोई इच्छा नहीं है। पिछले डेढ़ साल में मुझे चलती-फिरती लाश बना दिया गया है। इस निष्प्राण और निष्प्राण शरीर को अब इधर-उधर ढोने का कोई प्रयोजन नहीं है। मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है। कृपया मुझे अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से समाप्त करने की अनुमति दें। मेरी जिंदगी खारिज कर दी जाए।’
उन्होंने भारत में कामकाजी महिलाओं से सिस्टम के खिलाफ लड़ने का प्रयास न करने को कहा। लिखा- ‘अगर कोई महिला सोचती है कि आप सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगे। मैं आपको बता दूं, मैं नहीं कर सकी और मैं जज हूं। मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच भी नहीं जुटा सकी। न्याय तो दूर की बात है। मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खिलौना या निर्जीव वस्तु बनना सीखें।’ इस सम्बन्ध में बार-बार प्रयास करने के बावजूद न तो महिला न्यायाधीश और न ही उनके वरिष्ठ से संपर्क किया जा सका।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved