नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने चालू वित्त वर्ष (current financial year) की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में तेज वृद्धि का श्रेय बुनियादी ढांचा पर खर्च और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अच्छे प्रदर्शन को दिया है। राजन ने कहा कि भारत की वृद्धि दर मजबूत होने के बावजूद निजी निवेश और निजी उपभोग में तेजी नहीं आई है।
उन्होंने कहा, “अगर आप देखो कि हमने इस साल इतना अच्छा प्रदर्शन क्यों किया तो इसका एक कारण यह भी है कि दुनिया अच्छा कर रही है। इसके अलावे पहली छमाही में इस मजबूत वृद्धि का एक अन्य कारण बुनियादी ढांचे पर सरकार का जबरदस्त खर्च है। जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर उम्मीद से अधिक 7.6 प्रतिशत रहने के साथ भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार रखा है।”
स्थिर मूल्य (2011-12) पर अप्रैल-सितंबर 2023-24 (2023-24 की पहली छमाही) में जीडीपी 82.11 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की समान अवधि के 76.22 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2023-24 की पहली छमाही में 7.7 प्रतिशत ज्यादा है। 2022-23 की पहली छमाही में यह 9.5 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में, महामारी से पहले के दिनों से लेकर आज तक, भारतीय अर्थव्यवस्था ने सालाना लगभग 4 प्रतिशत की दर से वृद्धि की है। उन्होंने कहा, “यह हमारी छह प्रतिशत की वृद्धि दर से काफी कम है।”
राजन ने कहा कि जब तक कोई चमत्कार नहीं होता तब तक भारत का 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना लगभग असंभव है। उन्होंने कहा, “चूंकि हम अब 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आपको अगले दो साल में 12 से 15 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि दर हासिल करनी होगी।”
राजन ने आश्चर्य जताया कि क्या सरकार के पास भारत की आर्थिक वृद्धि दर को मौजूदा छह प्रतिशत से बढ़ाकर 12-15 प्रतिशत करने की कोई योजना है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए आपको सार्वजनिक रूप से कुछ समझदारी भरी चर्चा की जरूरत है। राजन ने यह भी कहा कि उनका यह चिंता करना सही है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ गई है। राजन ने कहा कि यदि देश पर्याप्त संख्या में रोजगार सृजित करता है तो भारत को लाभ होगा। हमें हर तिमाही की वृद्धि के बारे में चिंता करने के बजाय रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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