अंबाला । पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा (Former Union Minister Kumari Sailja) ने कहा कि हरियाणा में (In Haryana) खिलाड़ियों (Sportspersons) को क्लास-1 व 2 की नौकरियों में (In Class-1 and 2 Jobs) नहीं मिला उचित आरक्षण (Did not get Proper Reservation) ।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को न खिलाड़ियों की चिंता है और न ही खेलों के बढावे की ओर कोई ध्यान दे रही है। यही कारण है कि खिलाड़ियों को क्लास-1 व 2 की नौकरियों में उचित आरक्षण नहीं मिल रहा है। पदकवीर खिलाड़ियों के गांवों में खेल स्टेडियम का निर्माण मुख्यमंत्री की घोषणा को सालों बीतने पर भी नहीं हो पाया है। इससे नए खिलाड़ियों के तैयार होने पर संदेह बना हुआ है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि गठबंधन सरकार ने खिलाड़ियों पर सबसे बड़ा हमला उन्हें सरकारी नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण को खत्म करके किया। इसके बाद आवाज उठी तो खिलाड़ियों को चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने की घोषणा कर दी । यानी प्रदेश सरकार चाहती है कि देश-दुनिया में नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी सरकारी दफ्तरों में सम्मानजनक ओहदा पाने की बजाए हाथ में ट्रे उठाकर पानी पिलाने का काम करें।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एचपीएससी के माध्यम से डीएसपी व एचसीएस भर्ती में खिलाड़ियों के आरक्षण को खत्म करने का कदम भी गठबंधन सरकार ने ही उठाया है। बहुत अधिक विरोध के कारण अब जेल विभाग, वन एवं वन्य जीव विभाग, ऊर्जा विभाग, गृह विभाग, खेल एवं युवा मामले विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और प्रारंभिक शिक्षा विभाग में उत्कृष्ट खिलाड़ी (ओएसपी) और पात्र खिलाड़ी (ईएसपी) की श्रेणियों के तहत ग्रुप सी की नौकरियों में 3 प्रतिशत आरक्षण दे रही है। जबकि, खिलाड़ियों को प्रदेश सरकार के अधीनस्थ सभी विभागों में नौकरी दिए जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए।
कुमारी सैलजा ने कहा कि कितनी बड़ी विडंबना है कि ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के गांव खंडरा में आज तक खेल स्टेडियम का निर्माण नहीं गठबंधन सरकार नहीं करवा सकी है। नीरज के गांव में मुख्यमंत्री ने खेल स्टेडियम बनवाने की घोषणा की थी, जो सिरे ही नहीं चढ़ पाई। ऐसा ही हाल सोनीपत जिले के पदकवीर पहलवान रवि दहिया, हॉकी खिलाड़ी सुमित व जेवलिन थ्रोअर सुमित आंतिल के गांव का है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने वाहवाही लूटने के लिए इन खिलाड़ियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रमों में इनके गांवों में खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी, लेकिन सवा दो साल से अधिक समय बीतने के बावजूद आज तक एक ईट भी इनके गांवों में नहीं लग सकी है। जबकि, संबंधित गांवों की पंचायत खेल विभाग को जरूरी जमीन भी सौंप चुकी हैं। इससे पता चलता है कि खेल व खिलाड़ियों को लेकर प्रदेश सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है।
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