इंदौर (Indore)। प्राधिकरण ने विधानसभा चुनाव में श्रेय लेने के चलते ताबड़तोड़ नियम-कायदों को ताक पर रख 10 हजार की बैठक क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर की ना सिर्फ घोषणा की, बल्कि कंसल्टेंट नियुक्ति से लेकर टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर डाली। अब शासन ने ही प्राधिकरण के भू-उपयोग परिवर्तन प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट आदेश का हवाला देते हुए लौटा दिया है। कन्वेंशन सेंटर की तरह ही स्टार्टअप पार्क प्रोजेक्ट भी अनुमति में उलझा है और यहां की जमीन पर मेट्रो के साथ वन विभाग ने भी दावा किया है। इतना ही नहीं, ऊंचाई को लेकर भी शासन स्तर पर जो अनुमति मांगी गई वह भी लम्बित पड़ी है। दरअसल मुख्यमंत्री की घोषणा के अमल में प्राधिकरण को कन्वेंशन सेंटर बनाने का निर्णय लेना पड़ा, क्योंकि प्रवासी भारतीय सम्मेलन में इसको लेकर हल्ला मचा था।
इंदौर में वर्तमान में निजी क्षेत्र का ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर ही एकमात्र ऐसा सेंटर है जहां पर दो-ढाई हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। अभी इसी साल जनवरी में जो प्रवासी भारतीय सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुए, तब बड़ी संख्या में विदेशों से जो प्रवासी भारतीय इंदौर में आए उन्हें ब्रिलियंट के मुख्य हॉल में बैठने की जगह ही नहीं मिली और कुछ प्रवासियों ने इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई, जिसको लेकर देशभर में सोशल मीडिया के माध्यम से जमकर हंगामा भी मचा और प्रदेश सरकार पर आरोप लगे कि जब उसके पास बैठाने की ही व्यवस्था ही नहीं थी तो इतने विदेशी प्रवासियों को आमंत्रित क्यों कर लिया, जो लाखों रुपए खर्च कर इंदौर आए और उन्हें टीवी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री का भाषण देखने को कहा गया।
इस मामले में शासन की किरकिरी होने पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने यह घोषणा कर दी कि अब इंदौर में 10 हजार की बैठक क्षमता वाला विशाल कन्वेंशन सेंटर तैयार किया जाए और इसकी जिम्मेदारी प्राधिकरण को दी गई, जिस पर प्राधिकरण के राजनीतिक बोर्ड ने ताबड़तोड़ निर्णय करते हुए जमीन तो तय की, साथ ही अपने सालाना बजट में भी इसका प्रावधान कर दिया। प्राधिकरण ने अपनी योजना 172 में कन्वेंशन सेंटर की योजना तैयार की और खसरा नम्बर 322 और 334 का भू-उपयोग जो कि वर्तमान मास्टर प्लान में आवासीय है उसे व्यवसायिक करने का प्रस्ताव भेजा, ताकि कन्वेंशन सेंटर और उसके साथ होटल सहित अन्य प्रोजेक्ट अमल में लाए जा सकें। आचार संहिता से पहले प्राधिकरण ने इस कन्वेंशन सेंटर को बनाने का ना सिर्फ हल्ला पीटा, बल्कि उसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी। मगर जब भू-उपयोग का पेंच फंसा तो शासन को पत्र लिखा, जिसके जवाब में अब शासन ने भू-उपयोग परिवर्तन की संभावना से इनकार कर दिया।
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