नोएडा (Noida) । प्रयागराज (Prayagraj) में अगले 20 साल में कुंभ और माघ मेला (Kumbh and Magh Mela) जैसे आयोजन मुश्किल होंगे। इसकी वजह गंगा और यमुना नदी (Ganga and Yamuna River) से व्यावसायिक उपयोग के लिए हो रही जल निकासी है। सिंचाई, पेयजल के अलावा औद्योगिक जरूरतों के लिए सीधे नदी से पानी की निकासी की हो रही है। एनजीटी ने इस मामले में केंद्र सरकार के सचिव वन एवं पर्यावरण सहित आठ अधिकारियों को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है।
एनजीटी से कमलेश सिंह ने याचिका दायर कर शिकायत की है कि यमुना नदी से सिंचाई के लिए किशनपुर नहर 420 क्यूसेक पानी लेती है। वहीं 96 क्यूसेक पानी का उपयोग बारा थर्मल पॉवर प्लांट कर रहा है। एनटीपीसी मेजा 90 क्यूसेक पानी की निकासी कर रहा है। नगर निकाय मेजा और करछना को भी 134 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। इस निकासी का असर यह हो रहा है कि प्रयागराज में यमुना और गंगा में पानी का संकट हो गया है। ऐसे में कुंभ और माघ मेला जैसे आयोजनों के लिए अगले 20 साल में दिक्कत होगी।
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और डॉ. ए सेंथिल वेल ने अपने आदेश में माना कि पर्यावरण के नियमों को लेकर याचिका सवाल उठाती है। ऐसे में सचिव वन, सदस्य सचिव यूपीपीसीबी, डीएम प्रयागराज, मंडलायुक्त प्रयागराज, प्रभारी बारा थर्मल पावर प्लांट, मेजा व करछना नगर निकाय के कार्यकारी अधिकारी, एनटीपीसी के प्रभारी को नोटिस जारी किया गया है। इन सभी को आठ सप्ताह में अपना जवाब देना है। सात फरवरी को एनजीटी इस मामले में सुनवाई करेगा।
नदियों में सीवर का पानी गिरने से नहीं रोका
प्रयागराज में ही यमुना और गंगा में सीवर का पानी गिरना न रोकने पर सदस्य सचिव यूपीपीसीबी, मंडलायुक्त प्रयागराज, प्रमुख सचिव नगर विकास, डीएम प्रयागराज, महानिदेशक नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा मिशन को एनजीटी ने नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि 2024-25 में प्रयागराज में कुंभ मेला का आयोजन होना है।
वहीं जेएनएनयूआरएम में बजट आवंटन के बाद भी सीवर लाइन डालने का काम शुरू नही हुआ। गंगा और यमुना में सीवर गिरने से रोकने के लिए करीब 800 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत है। इस दिशा में कोई संतोषजनक काम नहीं हुआ है।
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