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    दिल्लीवाले खुद बढ़ा रहे वायु प्रदूषण? स्टडी में खुलासा

  • December 11, 2023

    नई दिल्‍ली (New Dehli) । सर्दियां (winters)बढ़ने के साथ ही खुद को गर्म (warm)रखने के लिए आग जलाने (kindle a fire)की घटनाओं में बढ़ोतरी (increase)हुई है। इस कारण प्रदूषण में सबसे बड़ा हिस्सा बायोमास बर्निंग का हो गया है। दिल्ली सरकार की ओर से स्थापित रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के मुताबिक, रविवार को दिल्ली की हवा में बायोमास बर्निंग की हिस्सेदारी 56 फीसदी तक रही।


    उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी के बाद हवा की दिशा में बदलाव हुआ है। दिल्ली की तरफ आने वाली हवा अब उत्तरी पश्चिमी हो गई है, जो अपने साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों की बर्फीली ठंड भी ला रही है। इस कारण दिल्ली के तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। सर्द मौसम कें खुद को गर्म रखने के लिए लोग उपले, लकड़ी, पेड़ों की पत्तियां और डालें आदि जला रहे हैं। इसका असर दिल्ली के प्रदूषण पर भी देखने को मिल रहा है।

    रविवार को भी इजाफा हुआ

    दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के मुताबिक, आठ दिसंबर को दिल्ली की हवा में बायोमास बर्निंग की हिस्सेदारी 32 फीसदी थी, जो नौ दिसंबर को बढ़कर 48 फीसदी तक हो गई। रविवार को इसमें और भी इजाफा हुआ और यह आंकड़ा 56 फीसदी तक पहुंच गया।

    वाहनों के धुएं से भी ज्यादा खतरनाक

    बायोमास बर्निंग से निकलने वाला धुआं वाहनों से होने वाले प्रदूषण से भी ज्यादा हो गया है। आठ तारीख को दिल्ली की हवा में वाहनों के प्रदूषण की हिस्सेदारी 47 फीसदी थी, जो नौ दिसंबर को घटकर 32 फीसदी रह गई। रविवार को यानी दस दिसंबर को यह हिस्सेदारी 28 फीसदी ही रहने के आसार हैं।

    सरकार के प्रयासों का नहीं दिख रहा असर

    इस वर्ष प्रदूषण के सीजन की शुरुआत में ही दिल्ली सरकार ने बायोमास बर्निंग की रोकथाम के लिए उपाय करने की बात कही थी। खासतौर पर तमाम जगहों पर सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले लोगों को इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराने की बात कही गई थी, क्योंकि रातभर ड्यूटी करने के दौरान ये लोग खुद को गर्म रखने के लिए आग जलाते हैं। इससे निकलने वाला धुआं प्रदूषण बढ़ाता है। हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार के उपाय खास कारगर साबित नहीं हुए।

    क्या है बायोमास बर्निंग

    सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के मुताबिक, बायोमास बर्निंग में लकड़ी, उपला, कृषि अवशेष, पेड़ों की डालियां और पत्तियों को जलाने से निकलने वाले धुएं को शामिल किया जाता है। इससे निकलने वाला धुआं वाहनों के धुएं से कम खतरनाक नहीं होता है।

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