वाराणसी। शहर की एक धर्मशाला में आंध्र प्रदेश (Aandhra pradesh) के एक ही परिवार के 4 सदस्यों ने फांसी लगाकर सामूहिक खुदकुशी (Mass Suicide) की थी. पुलिस को मौके से मृतकों का एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें खुदकुशी की हैरान कर देने वाली वजह सामने आई है. परिवार के चारों लोगों ने सुसाइड आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते की थी. साथ ही वाराणसी में मौत को गले लगाने और यही अंतिम संस्कार करने के पीछे धार्मिक मान्यता भी थीं. हालांकि मृतक परिवार के बड़े बेटे राजेश ने साफ तौर पर तीन लोगों को आरोपी बनाया है. जिनकी वजह से परिवार ने आत्महत्या करने का फैसला लिया.
बता दें, आंध्र प्रदेश के जिला पूर्व गोदावरी के माण्डा पेटा इलाके से आए एक ही परिवार के चार लोग कोंडा बाबू (50), लावण्या (45), राजेश (25) और जयराज (23) ने दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के देवनाथपुरा पांडेय हवेली इलाके के काशी कैलाश भवन नाम के धर्मशाला में फांसी लगाकर खुकुशी की थी. इसमें कोंडा बाबू (पति), लावण्या (पत्नी) और उनके दोनों बेटे राजेश और जयराज थे. यह घटना जितना दिल दहला देने वाली है उतनी ही दर्दनाक भी क्योंकि चारों ने मरने के पहले जो सुसाइड नोट तैयार किया था और आत्महत्या की वजह बताई थी जो अपने आप में हैरान करने वाली है.
मृतकों के सुसाइड नोट के मुताबिक मांडा पेटा इलाके के ‘दुर्गा दिव्यश्री आटो कंसल्टेंसी’ कंपनी जहां से सेकेंड हैंड बाइक बिका करती है. वहां राजेश काम करता था और उसने अपने निजी काम के लिए 6 लाख रुपये उधार लिए थे. जिसके बाद दुकानदार- पेंटगदल प्रसाद, रामीरेड्डी वीर लक्ष्मी और मल्ली बाबू ने मिलकर न केवल पूरे परिवार को काफी प्रताड़ित किया. बल्कि परिवार के सभी सदस्यों से 10-10 सफेद पेपर पर साइन और 20 साइन किए ब्लैंक चेक भी ले लिए थे.
सुसाइड नोट में बड़े नेता का जिक्र
सुसाइड नोट के मुताबिक इसके बाद परिवार वहां से निकलकर कोलकाता, तमिलनाडु, हरिद्वार और फिर वाराणसी आया. जब रुपये खत्म हो गए तो चारों ने सुसाइड नोट लिखने के दिन यानी 7 दिसंबर 2023 को अपना आखिरी दिन बताया और अपने मौत की वजह तीनो दुकानदार- पेंटगदल प्रसाद, दुकान में काम करने वाली कर्मचारी- रामीरेड्डी वीर लक्ष्मी और राजनैतिक पकड़ वाले- मल्ली बाबू को ठहराते हुए न्याय की गुहार लगाई और अपने सुसाइड नोट को डेथ स्टेटमेंट बताया. परिवार ने तीनों आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग भी सुसाइड नोट में की है. साथ ही काशी में अपने अंतिम संस्कार की मांग करी.
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