इंदौर। नगर निगम की आर्थिक हालत खस्ता होने के चलते कई बड़े प्रोजेक्ट अधर में लटके हैं। वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के मामले भी उलझन में पड़े हैं। वल्लभ नगर की पुरानी दुकानों को तोडक़र वहां दस मंजिला इमारत बनाए जाने से लेकर लोधा कॉलोनी को शिफ्ट कराने के प्रोजेक्ट भी फाइलों में हैं। सुभाष मार्ग की 100 फीट चौड़ी सडक़ बनाने को लेकर नपती और निशान लगाने की कार्रवाई भी हो चुकी थी, लेकिन पूरा मामला ही ठंडे बस्ते में चला गया।
निगम के अधिकांश प्रोजेक्ट अधर में पड़े हैं। वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के भी यही हाल हैं। बड़ा गणपति से कृष्णपुरा की सडक़ अलग-अलग हिस्सों में बना दी गई है, लेकिन टोरी कार्नर और गोराकुंड में कई बाधाएं हटाई ही नहीं जा सकी हैं। वहां अस्थायी तौर पर ब्लॉक लगाकर सडक़ का हिस्सा तैयार कर दिया गया। इसी प्रकार जवाहर मार्ग से चंद्रभागा सडक़ की एक लेन ही पूरी तरह बनकर चालू हो पाई है, जबकि दूसरी लेन में चार मकानों के हिस्से और एक मंदिर का हिस्सा बाधक है, जिसके कारण सडक़ पूरी तरह तैयार नहीं हो पाई है। स्मार्ट सिटी अफसरों ने चार माह पहले वल्लभ नगर की पुरानी दुकानों को तोडक़र वहां व्यावसायिक और आवासीय इमारत बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन जमीन के मामले को लेकर भोपाल में फाइलें अटक गई हैं। सुभाष मार्ग की सडक़ को 100 फीट चौड़ी बनाने के लिए सर्वे के साथ-साथ नपती, निशान की कार्रवाई पूरी होने के बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है।
पूरा शहर खुदा पड़ा है… और निगम का काम ठप
नगर निगम ने 6 माह पहले शहरभर में जो विकास कार्य शुरू कराए थे वे कई जगह अधूरे पड़े हैं तो कई जगह ठेकेदारों ने काम बंद कर दिए हैं। भुगतान नहीं मिलने के कारण काम रोके जाने की बात ठेकेदारों ने अफसरों को बता दी है। नए भंवरकुआं थाना भवन से लेकर भंवरकुआं चौराहे का सौंदर्यीकरण और विश्रामबाग के काम बंद पड़े हैं। इसके अलावा कई शाला भवनों और पुल-पुलियाओं के मामले भी टेंडर जारी करने के बाद शुरू नहीं हो पाए हैं। वर्तमान में सिर्फ नेहरू प्रतिमा की रोटरी और उसके आसपास सौंदर्यीकरण के काम ही चल रहे हैं, जबकि मधुमिलन से रीगल तक सडक़ सौंदर्यीकरण का टेंडर भी कई बार जारी करने के बाद किसी भी ठेकेदार ने इसमें रुचि नहीं दिखाई।
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