रोहतक (Rohtak) । रोहतक के अस्थल बोहर मठ के महंत बाबा बालक नाथ (Mahant Baba Balak Nath) ने राजस्थान (Rajasthan) की तिजारा सीट से विधानसभा चुनाव (assembly elections) में जीत हासिल कर सियासत में नया अध्याय जोड़ दिया है। राजनीति में उतरने वाले वह बाबा मस्तनाथ मठ के तीसरे महंत हैं। अब सियासत के अंदर उनको राजस्थान के मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे माना जा रहा है।
बाबा मस्तनाथ मठ का राजनीति से पुराना नाता रहा है। मठ के महंत श्रयोनाथ ने तीन बार किलोई हलका से विधानसभा चुनाव लड़ा। 2009 से पहले गढ़ी-सांपला किलोई हलके का नाम किलोई रहा, जबकि हसनगढ़ अलग हलका बना हुआ था। परिसीमन के बाद हसनगढ़ को खत्म करके किलोई हलका में विलय कर दिया गया। साथ ही हलका का नया नाम गढ़ी-सांपला-किलोई रख दिया गया। क्योंकि गढ़ी सांपला दीनबंधु सर छोटूराम का पैतृक गांव रहा है।
1966 में प्रदेश का गठन होने के बाद पहला विधानसभा चुनाव 1967 में हुआ, जिसमें किलोई हलका से बाबा मस्तनाथ मठ के महंत श्रयोनाथ व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें महंत निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विजयी रहे। हालांकि एक साल बाद मध्यावधि चुनाव में रणबीर सिंह हुड्डा ने महंत श्रयोनाथ को हरा दिया था। 1972 में महंत श्रयोनाथ ने पिछली हार का बदला लेते हुए रणबीर सिंह हुड्डा के बेटे कैप्टन प्रताप सिंह को हरा दिया था।
2004 में विधायक और 2014 में सांसद बने महंत चांदनाथ
बाबा बालकनाथ के गुरु महंत चांदनाथ ने 2004 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर राजस्थान की बहरोड़ सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें चांदनाथ ने पार्टी के बागी जसवंत सिंह यादव को 13 हजार वोट से हरा दिया था। 2014 में भाजपा ने उनको अलवर से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया।
उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र सिंह को हराकर जीत हासिल की। 2017 में महंत चांदनाथ का देहांत हो गया था। उनके शिष्य एवं मठ के गद्दीनशीन महंत बालकनाथ ने अलवर से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी रहे। भाजपा ने नया प्रयोग करते हुए राजस्थान में कई सांसद को विधानसभा चुनाव लड़वाया, जिसमें महंत बालकनाथ को अलवर जिले की तिजारा सीट से उतारा, जहां वे जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं।
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