नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) (Central Bureau of Investigation (CBI)) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की कीरू जल विद्युत परियोजना में रिश्वतखोरी के मामले (Kiru Hydroelectric Project bribery case) में चार शहरों (four cities) में छह ठिकानों पर छापे (Raids at six locations) मारे। परियोजना के लोक निर्माण कार्य के लिए 2,200 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था, जिसके खिलाफ राज्य के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आवाज उठाई थी।
मलिक ने दो परियोजनाओं को मंजूरी के एवज में 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की शिकायत की थी। मामले में दो निजी व्यक्ति कंवलजीत सिंह दुग्गल और डीपी सिंह जांच के घेरे में हैं।
अधिकारियों ने बताया कि आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लि. के कंवलजीत और डीपी के तीन ठिकानों के अलावा कंपनी के दिल्ली, शिमला, नोएडा व चंडीगढ़ स्थित ठिकानों पर छापे मारे गए। इस मामले में सीबीआई ने पिछले वर्ष 21 अप्रैल, 6 जुलाई और इस वर्ष 17 मई को भी तलाशी ली थी। मलिक ने आरोप लगाया था कि एक फाइल में आरएसएस के एक बड़े कार्यकर्ता की दिलचस्पी थी।
सीबीआई जांच में कीरू परियोजना में घोटाले का पर्दाफाश हुआ। एजेंसी मलिक से बतौर गवाह पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट प्रा. लि. के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी, पूर्व अधिकारी एमएस बाबू, एमके मित्तल, अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लि. के खिलाफ पहले ही केस दर्ज है।
छापे में अहम कागजात मिले
अधिकारी ने बताया कि छापे में कई अहम कागजात और कई लोगों की संलिप्तता के सुराग मिले हैं। सूत्रों ने बताया कि परियोजना के अधिकारी और कुछ निजी कंपनियों की सांठगांठ से नियमों को ताक पर रखकर इसका टेंडर पटेल इंजीनियरिंग कंपनी को दिया गया। पटेल इंजीनियरिंग इस मामले में मुख्य आरोपी है।
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