नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में चुनाव की मतदान प्रक्रिया पूरी (Election voting process completed in five states) हो चुकी है. अब मतगणना की बारी है. राजस्थान और मध्य प्रदेश (Rajasthan and Madhya Pradesh) समेत देश के 4 राज्यों में मतगणना 3 दिसम्बर को होगी (Counting of votes will take place on December 3). मतगणना के बाद हार-जीत के ऐसे मामले भी सामने आते हैं जहां रिकाॅर्ड वोटों के मार्जिन से उम्मीदवार चुनाव जीतते हैं. वहीं, ऐसे मामले भी इतिहास में दर्ज हैं जहां केवल एक वोट ने नेताओं का भविष्य तय किया है.
राजस्थान की राजनीति में एक ऐसा मामला भी सामने आया था. मतगणना में राज्य की कई बड़ी सीटों पर लोगों की नजर रहती है. लेकिन राजस्थान की नाथद्वारा सीट कई मायने ऐतिहासिक मानी जाती है. इस सीट पर साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में रोमांचक मुकाबला हुआ था. राजस्थान की नाथद्वारा सीट पर मुख्य उम्मीदवार थे भाजपा के कल्याण सिंह और कांग्रेस के सीपी जोशी. यह सीपी जोशी की परंपरागत सीट रही थी. वह इस सीट पर चार बार 1980, 1985, 1998 और 2003 में चुनाव भी जीते थे. लेकिन जब मतगणना पूरी हुई तो बीजेपी के कल्याण सिंह को जीत मिली. चर्चा उनकी जीत से ज्यादा मार्जिन की थी. कल्याण सिंह को चुनाव में 62,216 वोट मिले थे. वहीं सीपी जोशी को 62,215 वोट मिले थे. महज 1 वोट से कांग्रेस के सीपी जोशी हार गए थे.
खास बात है कि सीपी जोशी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे. इस चुनाव में कांग्रेस के जीतने पर उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय था. लेकिन 1 वोट ने राजस्थान की सियासत बदल दी. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तो जीती लेकिन सीपी जोशी मुख्यमंत्री के पद की दौड़ से बाहर हो गए. एक वोट की क्या कीमत होती है इसका गवाह 2004 के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक राज्य भी बना था. यह बात है कर्नाटक की संथेमरहल्ली निर्वाचन क्षेत्र की. मतगणना के बाद इस सीट के दो प्रमुख दावेदार थे जनता दल सेक्युलर के ए.आर.कृष्णमूर्ति और कांग्रेस के ध्रुवनारायण. बड़ी संख्या में यहां मतदाताओं ने वोटिंग की.
नतीजों के मुताबिक, 40 हजार 751 वोट कृष्णमूर्ति को मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी ध्रुवनारायण को 40 हजार 752 वोट मिले. केवल 1 वोट ने कांग्रेस के ध्रुवनारायण को विजेता बना दिया. साथ ही ए.आर.कृष्णमूर्ति विधानसभा चुनाव में 1 वोट से हारने वाले पहले शख्स बनें. इतना ही नहीं, मतदान के बाद कई राज्यों में ऐसे मामले सामने आए जिसमें कैंडिडेट के नाम अलग-अलग तरह के रिकॉर्ड बने. कई एक ही सीट पर दो उम्मीदवारों को बराबर मत मिले. चुनाव आयोग ने इस मुश्किल को लॉटरी और टॉस के जरिए हल किया. हालांकि ऐसे मामलों में चर्चा बहुत बटोरी. अब 3 दिसम्बर को होने वाली मतगणना में भी रिकॉर्ड बन और बिगड़ सकते हैं.
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