नई दिल्ली (New Delhi)। मई महीने की शुरुआत में जातीय संघर्ष की वजह से मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) में मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार (Last Rituals Of Dead Bodies) अभी तक नहीं हो पाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 11 दिसंबर तक उन सभी शवों के अंतिम संस्कार का आदेश (Order for cremation of dead bodies) दिया है, जिनकी पहचान हो चुकी है. इसके बाद भी इनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया।
एक रिपोर्ट की मानें तो सूबे के तीन मुर्दाघरों में 94 शवों को अंतिम संस्कार का इंतजार हैं. दो मुर्दाघर इंफाल में हैं और एक चुराचांदपुर में. इन शवों में 88 ऐसे हैं, जिनकी पहचान हो चुकी है, लेकिन उनके परिजनों ने दावा नहीं किया है. अदालत ने आदेश दिया कि परिजन उन शवों को लेकर मणिपुर सरकार की ओर से चिन्हित किए गए नौ कब्रिस्तानों में से किसी पर अंतिम संस्कार कर सकते हैं. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर परिजन एक सप्ताह तक ऐसा नहीं करते हैं तो राज्य सरकार कानून के मुताबिक अंतिम संस्कार कर सकती है।
कहां हैं कितने शव
इम्फाल के दो मुर्दाघरों में 54 और चुराचांदपुर मुर्दाघर में 40 शव हैं. चुराचांदपुर में चार शव मैतेई के हैं. अधिकांश मैतेई परिवारों ने पहले ही अपने रिश्तेदारों के शवों पर दावा कर दिया है. 3 अगस्त को, चुराचांदपुर स्थित एक प्रभावशाली आदिवासी निकाय, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएफएल) ने एक विवादित स्थल पर सभी कुकी लोगों के शवों को सामूहिक रूप से दफनाने की घोषणा की थी जिसके बाद विवाद हुआ था।
परिवार अंतिम संस्कार को तैयार
मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार को लेकर दोनों तरफ से सामाजिक संगठनों ने मोर्चा संभाला है. लालबोई लुंगडिम (32) नाम के एक कुकी युवक की 4 मई को इंफाल में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. उनके पिता नगमथांग लुंगडिन कहते हैं,“आईटीएलएफ कुकिस के मामले को संभाल रहा है और हमें उन पर भरोसा है. आईटीएलएफ और सरकार को बैठकर तेजी से निर्णय लेना चाहिए. मैं अपने बेटे के शव को दफनाने से पहले कुछ घंटों के लिए घर लाना चाहता हूं.” लुंगडिम अकेले नहीं हैं. सूबे में ऐसे कई परिवार हैं जो आईटीएलएफ और राज्य सरकार के बीच आम सहमति बनने और मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का इंतजार कर रहे हैं।
शवों के अंतिम संस्कार में क्यों हो रही देरी?
राज्य सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि राज्य में हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं. दूसरे समुदाय के लोगों के शव अगर अन्य समुदाय की बहुलता वाले इलाकों से गुजरते हैं तो फिर से हिंसा भड़कने की खुफिया रिपोर्ट है. इसलिए सोच-समझकर कर कदम उठाए जा रहे हैं. मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) शवों को दफनाने के शांतिपूर्ण समाधान के लिए नियमित बैठकें कर रहा है।
‘सरकार कर रही देरी’
आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्जा वुअलजोंग ने कहा, “राज्य सरकार विभिन्न मुद्दों का हवाला देते हुए शवों को सौंपने के लिए तैयार नहीं है. कुछ हफ़्ते पहले, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी दफनाने पर चर्चा करने के लिए लमका (चुरचांदपुर) आए थे, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई.” वैसे खबर है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय डेट लाइन तक अंतिम संस्कार का काम पूरा कर लिया जाएगा।
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