न्यूयार्क (New York)। संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में इजरायल (proposal against Israel) को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया गया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सीरिया के गोलन हाइट्स (Syria’s Golan Heights) से इजरायल अपना कब्जा हटा ले. इस प्रस्ताव का 91 देशों ने समर्थन (91 countries supported) किया है, जिसमें भारत भी है।
यूएन में इस प्रस्ताव को मिस्र ने पेश किया था, जिसके पक्ष में 91 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में आठ देशों ने वोटिंग की. वहीं, 62 देश वोटिंग के दौरान नदारद रहे। प्रस्ताव में कहा गया है कि यूएनजीए और सुरक्षा परिषद की प्रस्तावना को ध्यान में रखते हुए इजरायल को सीरियाई गोलन हाइट्स पर कब्जा छोड़ देना चाहिए. इजरायल ने 1967 में गोलन हाइट्स पर कब्जा किया था।
इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, लेबनान, ईरान, इराक और इंडोनेशिया भी हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, पलाउ, माइक्रोनेशिया, इजरायल, कनाडा और मार्शल आइलैंड ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट किया। वहीं, यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम, जापान, केन्या, पोलैंड, ऑस्ट्रिया और स्पेन जैसे 62 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली. इस प्रस्ताव पर वोटिंग 28 नवंबर को हुई थी।
गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया में एक क्षेत्र है, जिस पर पांच जून 1967 को इजरायल ने कब्जा कर लिया था. इजरायल ने 1967 में छह दिनों तक चले युद्ध के दौरान सीरिया के गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था।
क्या है गोलन हाइट्स?
गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पहाड़ी इलाका है. इजरायल ने 1967 में सीरिया के साथ छह दिन के युद्ध के बाद गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था. उस समय इस इलाके में रहने वाले ज्यादातर सीरियाई अरब लोग अपना घर छोड़कर चले गए थे।
सीरिया ने 1973 में मध्यपूर्व युद्ध के दौरान गोलन हाइट्स पर दोबारा कब्जे की कोशिश की. लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका. 1974 में दोनों देशों ने इलाके में युद्धविराम लागू कर दिया. संयुक्त राष्ट्र की सेना 1974 से युद्धविराम रेखा पर तैनात है. 1981 में इजरायल ने गोलन हाइट्स को अपने क्षेत्र में मिलाने की एकतरफा घोषणा कर दी थी. लेकिन इजरायल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी गई थी।
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