लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए (To deal with Natural Disasters) चार रीजनल डिजास्टर रिस्पॉन्स सेंटर (Four Regional Disaster Response Centers) स्थापित करने का निर्णय लिया (Decided to Set Up) । बाढ़, सूखा, भूकंप, आकाशीय बिजली जैसी अपादाओं से निपटने और लोगों तक जल्दी से राहत पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 करोड़ रुपये खर्च कर चार रीजनल डिजास्टर रिस्पॉन्स सेंटर (आरडीआरएस) स्थापित करने का निर्णय लिया है।
उम्मीद है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसे जल्दी ही हरी झंडी मिल जाएगी और निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश (आरडीआरएस) स्थापना करने वाला देश का पहला राज्य बन जायेगा। इनकी स्थापना के लिए क्षेत्रों का चयन हो गया है। पूर्वी, पश्चिमी, विंध्य और बुंदेलखंड में एक-एक रीजनल डिजास्टर रिस्पॉन्स सेंटर की स्थापना होगी, जिससे प्रदेश के हर क्षेत्र में त्वरित गति से राहत पहुंचायी जा सकेगी। इसके लिए दो शहरों झांसी और वाराणसी में जमीन चिन्हित कर ली गई है, जबकि गोरखपुर और गौतमबुद्ध नगर में जमीन चिन्हिकरण की प्रक्रिया चल रही है।
पश्चिमी क्षेत्र के सभी जिलों को कवर करने के लिए गौतमबुद्धनगर, पूर्वी क्षेत्र के सभी जिलों को कवर करने के लिए गोरखपुर, विंध्य क्षेत्र के सभी जिलों को कवर करने के लिए वाराणसी और बुंदेलखंड के सभी जिलों को कवर करने के लिए झांसी में केंद्र स्थापित करने पर सहमति बनी है। इन केंद्रों पर किसी भी प्रकार के आपदा के दौरान राहत पहुंचाने में तो सुविधा होगी ही, बचाव से संबंधित रिसर्च और इनोवेशन की राह भी खुलेगी। यहां ट्रेनिंग कैंप भी संचालित होंगे।
अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर गर्ग के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आपदा के दौरान पीड़िताें को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने को लेकर काफी संजीदा हैं। अब एक रिपोर्ट बनाकर भेजी गयी है। सीएम ने ही प्रदेश के पूर्वी, पश्चिमी, विंध्य और बुंदेलखंड में एक-एक रीजनल डिजास्टर रिस्पॉन्स सेंटर की स्थापना का निर्देश दिया था।
सीएम योगी ने यह फैसला राजधानी लखनऊ स्थित राहत आयुक्त कार्यालय से आपदा रिस्पांस गतिविधियों के कार्डिनेशन एवं प्रबंधन में दूरी के कारण लिया गया। गोल्डेन ऑवर के दौरान राहत पहुंचाने में देरी की आशंका व्यक्त की थी। ऐसे में आपदा के समय रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए केंद्रों की स्थापना के निर्देश दिये।
वास्तविक सूचना के आदान-प्रदान, अन्य केंद्रों एवं एजेंसियों से को-आर्डिनेशन के लिए संचार केंद्र का निर्माण होगा। सभी सेंटर ट्रेनिंग केंद्र, इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर एवं सामुदायिक सहभागिता केंद्र से लैस होंगे। इसके लिए राहत आपूर्ति, खोज बचाव उपकरण एवं आपदा रिस्पांस उपकरणों के लिए संसाधान भंडारण का भी निर्माण होगा।
आपदाओं और आपात स्थितियों के दौरान रिस्पांस टाइम में कमी आने के साथ आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों एवं एजेंसियों के बीच बेहतर कार्डिनेशन होगा। आपदा चुनौतियों से निपटने में स्थानीय विशेषज्ञों से कार्डिनेशन स्थापित किया जा सकेगा। जमीनी स्तर पर भी तैयारियों को बढ़ावा मिलेगा।
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