उज्जैन: चार महीने बाद अपनी चिरनिंद्रा से जागे भगवान विष्णु (Lord Vishnu woke up from eternal sleep) को भगवान महाकाल वापस सृष्टि का कार्यभार सौंपेंगे (Mahakal will hand over the responsibility of creation). यह अद्भुत नजारा आज रात 11 बजे देखने को मिलेगा. रात 11 बजे उज्जैन स्थित भगवान महाकाल की सवारी (ride of lord mahakal) निकाली जाएगी. 11 बजे शुरू होने वाली यह सवारी रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंचेगी. यहां भगवान महाकाल सृष्टि का कार्यभार भगवान विष्णु को सौंपेंगे (Will hand over the responsibility of creation to Lord Vishnu). यह परंपरा दोनों देवताओं की माला बदलकर निभाई जाएगी, इसे हरि-हर मिलन कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक जगत का पालन करने वाले भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं, इसलिए चार महीने तक संपूर्ण सृष्टि का भार भगवान शिव के पास होता है.
बता दें प्रतिवर्ष उज्जैन में हरि-हर मिलन का यह अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप से रात 11 बजे निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी. सवारी में ढोल-नगाड़ों के साथ आतिशबाजी की जाएगी. कई जगह भगवान महाकाल का स्वागत होगा. गोपाल मंदिर पहुंचने पर सवारी अंदर लाई जाएगी, यहां भगवान शिव-विष्णु के सामने आसीन होंगे. पुजारी महाकाल मंदिर पद्धति से द्वारिकाधीश का पूजन करेंगे. इसके बाद महाकाल का पूजन कर उन्हें विष्णु जी की प्रिय तुलसीदल की माला अर्पित होगी.
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश के अनुसार राजा बलि ने स्वर्ग पर कब्जा कर इंद्रदेव को बेदखल कर दिया था. ऐसे में इंद्रदेव ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी. वामन अवतार लेकर विष्णु राजा बलि के यहां दान मांगने पहुंचे. उन्होंने तीन पग भूमि दान में मांगी. दो पग में भगवान ने धरती और आकाश नाप लिया. तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया. भगवान विष्णु ने तीनों लोगों को मुक्त करके देवराज इंद्र का भय दूर किया. भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर राजा बलि से वर मांगने के लिए कहा.
बलि ने भगवान विष्णु से कहा आप मेरे साथ पाताल चलकर निवास करें. भगवान विष्णु बलि के साथ चले गए. उधर देवी देवता और विष्णु की पत्नी लक्ष्मी चिंतित हो उठीं. वे राजा बलि के पास पहुंची और उन्हें राखी बांधी. इसके उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को मुक्त करने का वचन मांग लिया. यही कारण है कि इन चार महीनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं. वामन रूप में भगवान का अंश पाताल लोग में होता है. इसके लिए देवशयनी एकादशी पर भगवान शिव को त्रिलोक की सत्ता सौंपकर भगवान विष्णु राजा बलि के पास चले जाते हैं. इस दौरान भगवान शिव ही पालनकर्ता का काम देखते हैं.
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