इंदौर (Indore)। फ्लायऐश के बाद निर्माणाधीन इंदौर-हरदा फोर लेन नेशनल हाईवे के लिए अब मिट्टी का टोटा पड़ गया है। हाईवे निर्माण के लिए 10 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी की जरूरत है। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) ने इंदौर जिला प्रशासन से हाईवे निर्माण के लिए तालाब खोदने की अनुमति मांगी है, ताकि मिट्टी का इंतजाम हो सके, साथ ही सडक़ के आसपास जल संग्रहण की सुविधा में इजाफा हो। एनएचएआई अफसरों का कहना है कि प्रशासन से आग्रह किया गया है कि वह हाईवे के आसपास कहीं सरकारी जमीन तलाश कर तालाब खोदने की अनुमति दे दे, तो इससे एक पंथ, दो काज हो सकेंगे।
एनएचएआई को हाईवे का बेस बनाने के लिए मिटटी-मुरम मिल जाएगी, वहीं क्षेत्र के लोगों को नया तालाब मिल जाएगा। इससे क्षेत्र का भू जल स्तर भी बढ़ जाएगा और लोगों की पानी संबंधी जरूरत भी पूरी हो सकेगी। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने बताया कि कलेक्टर इलैया राजा टी. से इस बारे में आग्रह किया गया है कि वे तालाब के लिए उपयुक्त जमीन उपलब्ध कराएंगे, तो हाईवे का धीमी गति से चल रहा काम तेज गति से हो सकेगा। कलेक्टर ने एनएचएआई को भरोसा दिया है कि वे जल्द ही इस संबंध में कार्रवाई करेंगे। प्रशासन हाईवे निर्माण को गति देने के लिए हरसंभव मदद देगा।
इंदौर-राघौगढ़ हाईवे प्राथमिकता से बनना है
इंदौर-हरदा फोर लेन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर से राघौगढ़ तक का ग्रीनफील्ड हाईवे का काम प्राथमिकता से होना है। यह हाईवे इंदौर के एमआर-10 जंक्शन के पास बनना है। फ्लायऐश (राख) और मिट्टी की कमी के कारण यह प्रोजेक्ट लंबे समय से अधूरा पड़ा है और जमीन मिलने के बावजूद काम नहीं हो पा रहा है।
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