नई दिल्ली: भारत सरकार लगातार अपने सशस्त्र बलों को मजबूत कर रही है, ताकि दुश्मन मुल्कों से देश की सुरक्षा की जा सके. भारतीय सेना के साथ-साथ भारतीय वायुसेना को भी मजबूत करने पर काम चल रहा है. इसी कड़ी में वायुसेना के स्क्वाड्रन ताकत को बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने ‘हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड’ (HAL) को 10 हजार करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है. इसके तहत वायुसेना के लिए 12 सुखोई-30 फाइटर जेट हासिल किए जाएंगे.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एचएएल दिसंबर के आखिर तक इस टेंडर पर जवाब देने वाला है. केंद्र सरकार की तरफ से ये फैसला ऐसे समय पर लिया गया है, जब भारतीय वायुसेना को कम होती हवाई ताकत का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, पिछले 20 सालों में अलग-अलग हवाई दुर्घटनाओं में वायुसेना को 12 सुखोई-30 लड़ाकू विमानों को गंवाना पड़ा है. ऐसे में नए लड़ाकू विमानों के जरिए सरकार वायुसेना में पैदा हुए इस गैप को भरने का काम करेगी.
स्वदेशी होंगे सुखोई लड़ाकू विमान
सभी लड़ाकू विमान भारत में हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड के जरिए बनाए जाएंगे. इसमें 60 फीसदी उपकरण स्वदेशी होने वाले हैं. भारतीय वायुसेना के पास इस तरह के 260 लड़ाकू विमान हैं. लेकिन जिन नए सुखोई-30 लड़ाकू विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा, वे पुराने सभी फाइटर जेट्स के मुकाबले ज्यादा आधुनिक होने वाले होंगे. एक बार टेंडर को लेकर एचएएल के बयान जारी करने के बाद लड़ाकू विमानों की डिलीवरी की तारीख भी सामने आएगी.
क्या है सुखोई-30 विमान की खासियत?
सुखोई-30 एमकेआई एक मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है, जो कई तरह के हथियारों को संभालने के काबिल है. इसमें अस्त्र एमके-1 लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल और कई तरह के बम फिट किए जा सकते हैं. सुखोई-30 एमकेआई 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो तेज रफ्तार के साथ-साथ कम रफ्तार में भी कई तरह के ऑपरेशन अंजाम दे सकता है. इस लड़ाकू विमान में हवा में ही फ्यूल भरा जा सकता है. ये लंबी दूरी तक पेट्रोलिंग भी कर सकता है. वायुसेना सुखोई-30 एमकेआई और राफेल लड़ाकू विमान के साथ-साथ लड़ाकू विमानों का एक बेड़ा तैयार करना चाहती है, जो टेक्टिकल के साथ-साथ रणनीतिक मिशन को अंजाम दे पाएं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved