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    MP में वोटिंग शुरू, दांव पर कई दिग्गजों की किस्मत, जानें हॉट सीटों का हाल

  • November 17, 2023

    भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की 230 सदस्यीय विधानसभा (230 member assembly) के लिए आज मतदान (Voting today) हो रहा है। कुल 5.6 करोड़ मतदाता (5.6 crore voters) चुनाव में उतरे 2,534 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला (Fate of 2,534 candidates decided) करेंगे। वैसे तो सभी सीटें अपने आप में खास है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा प्रदेश की हॉट सीटों की है। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं मध्य प्रदेश की 23 हॉट सीटों के बारे में…। इन सीटों पर प्रमुख चेहरा कौन है? सीट चर्चा में क्यों? यहां पिछले तीन चुनाव में क्या नतीजे रहे हैं? आइये जनते हैं सब कुछ…

    1. बुधनीः- मध्य प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट बुधनी है। यहां से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) भाजपा की तरफ से मैदान में हैं। वहीं सीएम के खिलाफ कांग्रेस ने रामायण सीरियल में हनुमान की भूमिका निभा चुके अभिनेता विक्रम मस्ताल को टिकट दिया है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा को चुनाव लड़ाया है। बुधनी विघानसभा निर्वाचन क्षेत्र से शिवराज लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। पिछले तीन नतीजों की बात करें तो साल 2008 में इस क्षेत्र पर शिवराज सिंह ने भाजपा की टिकट पर 41,525 वोटों से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2013 में शिवराज सिंह 84,805 वोटों के अंतर से जीतने में सफल रहे। पिछली बार यहां से मुख्यमंत्री 58,999 वोटों से विजयी हुए थे।


    2. छिंदवाड़ाः- बुधनी के बाद छिंदवाड़ा सीट दूसरी सबसे चर्चित सीट है। यहां कांग्रेस की ओर से पीसीसी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मैदान में हैं। वहीं भाजपा ने यहां विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। विवेक छिंदवाड़ा में वर्तमान में पार्टी के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 2008 में यहां से कांग्रेस के दीपक सक्सेना ने भाजपा के विवेक बंटी साहू को 3,444 वोटों से शिकस्त दी थी। 2013 में भाजपा की ओर से उतरे चौधरी चंद्रभान सिंह ने 24,778 वोटों से जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस के दीपक सक्सेना ने वापसी की थी और भाजपा प्रत्याशी को 14,547 वोटों से जीत हासिल की थी।

    3. दिमनीः- राज्य की चर्चित सीटों में मुरैना जिले की दिमनी भी शुमार है। यहां से भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उतारकर यहां की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। वहीं विपक्षी कांग्रेस ने रवीन्द्र सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2008 में यहां से शिव मंगल सिंह तोमर को भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर महज 256 वोटों से जीत मिली थी। 2013 में बलवीर सिंह दंडोतिया ने बहुजन समाज पार्टी को 2,106 वोटों से जीत दिलाई थी। पिछले चुनाव में 18,477 वोटों के अंतर से कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया को जीत मिली थी।

    4. दतियाः- इस सीट से भाजपा के तेजतर्रार नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा दावेदारी पेश कर रहे हैं। वहीं मिश्रा के सामने कांग्रेस ने राजेंद्र भारती को टिकट दिया है। 2008 में नरोत्तम मिश्रा ने भारतीय जनता पार्टी को 11,233 वोटों से जीत दिलाई थी। अगले चुनाव में उन्होंने दोबारा जीत दर्ज की और करीबी उम्मीदवार को 11,697 वोटों से हराया। पिछली बार यानी 2018 में मिश्रा की जीत का अंतर घट गया और उन्हें 2,656 वोटों से जीत मिली थी।

    5. इंदौर-1: – मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में आने वाली इंदौर-1 सीट भी चर्चित सीटों में शुमार है। यहां सत्ताधारी भजपा की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय उम्मीदवार हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने जाने पहचाने चेहरे और मौजूदा विधायक संजय शुक्ला को प्रत्याशी घोषित किया है। 2008 में हुए विधनसभा चुनाव में सुदर्शन गुप्ता ने भारतीय जनता पार्टी को 8,183 वोटों से विजय दिलाई थी। इसके बाद 2013 में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता ने फिर जीत दर्ज की और अबकी बार जीत का अंतर 54,176 वोटों का था। वहीं पिछले मुकाबले में भाजपा के विजय रथ को रोकते हुए कांग्रेस ने सीट को अपने नाम किया। कांग्रेस की ओर से संजय शुक्ला ने 8,163 वोटों से जीत अर्जित की।

    6. नरसिंहपुरः- इस सीट से मौजूदा विधायक जालम सिंह पटेल हैं, जो केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के भाई हैं। अबकी बार भाजपा ने जालम की टिकट काटकर उनके भाई प्रह्लाद को उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने लाखन सिंह पटेल को टिकट दिया है। सुनील जयसवाल ने 2008 के चुनाव में कांग्रेस को 8,199 वोटों से जीत दिलाई थी। इसके बाद 2013 में जालम ने 48,481 वोटों से भाजपा को विजय दिलाई थी। वहीं पिछले चुनाव में एक बार फिर जलम पटेल को जीत मिली और जीत का अंतर 14,903 वोटों का था।

    7. राघोगढ़ः- वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह कर रहे हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे जयवर्धन के सामने भाजपा ने हिरेंद्र सिंह बंटी बन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2008 की सियासी लड़ाई में मूल सिंह (दादा भाई) ने कांग्रेस के टिकट पर 7,688 वोटों से सफलता हासिल की थी। इसके बाद 2013 में हुए मुकाबले में जयवर्धन सिंह ने 58,204 वोटों से कांग्रेस के नाम यह सीट की। वहीं 2018 में कांग्रेस की ओर से जयवर्धन ने 46,697 वोटों से इस सीट को अपने नाम किया था।

    8. चाचौड़ाः- चाचौड़ा सीट से दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं भाजपा की ओर से प्रियंका मीणा पेश कर रही हैं। 2008 में शिवनारायण मीणा को कांग्रेस के टिकट पर 8,022 वोटों से सफलता मिली थी। अगले चुनाव में ममता मीणा 34,901 वोटों से मुकाबला जीता जो भाजपा की उम्मीदवार थीं। वहीं पिछली बार चाचौड़ा से लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस को 9,797 मतों से जीत दिलाई थी।

    9. नरेलाः- भोपाल की नरेला सीट भी कई मायनों में खास है। यहां से शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग मौजूदा विधायक और भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनके सामने कांग्रेस ने मनोज शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां से बीते तीन चुनावों में भाजपा की ओर से विश्वास सारंग को ही जीत मिली है। 2008 में विश्वास सारंग के जीत का अंतर् 3,273 वोट, 2013 में 26,970 वोट और 2018 में 23,151 वोट का था।

    10. हरदाः- इस सीट से भाजपा ने कमल पटेल को उम्मीदवार बनाया है जो शिवराज सरकार में कृषि मंत्रालय की कुर्सी संभाल रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने डॉ. रामकिशोर डोगने को अपना चेहरा घोषित किया है। 2008 में भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कमल पटेल के जीत का अंतर् 8,863 वोट का था। अगले चुनाव में कांग्रेस के रामकिशोर डोगने 4,651 वोटों से चुनाव जीते थे। पिछले चुनाव में कमल पटेल ने भाजपा को 6,667 वोटों से सफलता दिलाई थी।

    11. निवासः- इस सीट से आदिवासी नेता और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने यहां चैन सिंह वरकड़े को टिकट दिया है। 2008 में निवास सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते जीते थे। रामप्यारे ने भारतीय जनता पार्टी को 3,649 वोटों से जीत दिलाई थी। अगले चुनाव में एक बार फिर रामप्यारे जीते और जीत का अंतर 10,910 वोटों का था। वहीं 2018 में डॉ. अशोक मर्सकोले ने कांग्रेस को 28,315 वोटों से जीत दिलाई थी।

    12. लहारः- इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा ने अंबरीश शर्मा गुड्डु को प्रत्याशी घोषित किया है। यहां बीते तीन चुनावों के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं। 2008 में कांग्रेस उम्मीदवार गोविंद सिंह की जीत का अंतर 4,878 वोट, 2013 में 6,273 वोट और 2018 में 9,073 वोटों का था।

    13. शिवपुरीः- इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केपी सिंह ताल ठोक रहे हैं। वहीं भाजपा ने देवेन्द्र कुमार जैन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यहां के पिछले चुनाव नतीजों की बात करें तो 2008 में माखन लाल राठौड़ ने भारतीय जनता पार्टी को 1,751 वोटों से जीत दिलाई थी। अगले दोनों चुनावों में भाजपा के टिकट पर यशोधरा राजे सिंधिया जीतीं जिनकी जीत का अंतर क्रमशः 11,145 और 28,748 वोटों का था।

    14. होशंगाबादः- भाजपा और कांग्रेस के लिए, मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर का शायद सबसे अच्छा उदाहरण होशंगाबाद सीट पर शर्मा बंधुओं के बीच आमने-सामने की लड़ाई है। वर्तमान विधायक और भाजपा उम्मीदवार और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी और बड़े भाई गिरिजा शंकर शर्मा से है। 2008 में होशंगाबाद से भाजपा के टिकट पर गिरजा शंकर शर्मा ने 25,320 वोटों से जीत दर्ज की। अगले दोनों चुनावों में गिरजा के भाई डॉ. सीता शरण शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी को क्रमशः 49,296 और 15,217 वोटों से सफलता दिलाई।

    15. विजयराघवगढ़ः– कटनी जिले की इस सीट से मध्य प्रदेश के मौजूदा विधायकों में सबसे अमीर संजय पाठक मैदान में हैं। भाजपा के संजय पाठक ने अपने शपथ पत्र में कुल 242.09 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई है। 2018 के चुनाव में उन्होंने कुल 226 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति बताई थी। 2013 में संजय के पास कुल 141 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। इस तरह से बीते 10 साल में उनकी संपत्ति में करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। वहीं इस सीट पर कांग्रेस ने नीरज बघेल को अपना प्रत्याशी बनाया है। बीते तीन चुनावों में यहां नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे हैं। 2008 में संजय पाठक ने भाजपा को 22,801 वोट, 2013 में 929 वोट और 2018 में 13,738 वोट से जीत दिलाई थी।

    16. चुरहटः- इस सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ‘राहुल’ कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। अजय सिंह मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। इस बार उनका सामना भाजपा के मौजूदा विधायक शारदेंदु तिवारी से है। 2008 और 2013 में इस सीट से अजय सिंह को कांग्रेस के टिकट पर क्रमशः 10,835 और 19,356 वोटों से जीत मिली थी। पिछले चुनाव में अजय सिंह को झका लगा जब भाजपा उम्मीदवार शारदेंदु तिवारी से उन्हें 6,402 वोटों से जीत हासिल हुई थी।

    17. भिंडः- पिछले कुछ समय में भिंड सीट अपने विधायक संजीव कुशवाह की वजह से खूब चर्चा में रही। दरअसल, आरोप लगाए गए थे कि एमपी पटवारी भर्ती परीक्षा में पास हुए टॉप 10 अभ्यर्थियों में सात पूर्व भाजपा विधायक संजीव कुशवाह के कॉलेज के थे। आरोपों के बीच भाजपा ने संजीव का टिकट काटकर नरेंद्र सिंह कुशवाह को अपना उम्मीदवार बना दिया। वहीं बाद में संजीव ने अपनी पुरानी पार्टी बसपा में वापसी कर ली और उम्मीदवार भी हैं। कांग्रेस ने चौधरी राकेश चतुर्वेदी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। 2008 में कांग्रेस के टिकट पर चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी 9,096 वोटों से जीते थे। अगले चुनाव में नरेंद्र सिंह कुशवाह ने भारतीय जनता पार्टी को 5,993 वोटों से सफलता दिलाई थी। वहीं 2018 में बसपा के टिकट पर संजीव सिंह 35,896 वोटों से जीते थे। हालांकि, बाद में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भाजपा का दामन थाम लिया था और उपचुनाव भी पार्टी के टिकट पर जीत गए।

    18. जबलपुर पश्चिमः- जबलपुर पश्चिम संस्कारधानी जबलपुर की चर्चित सीटों में शमिल है। भाजपा ने यहां जबलपुर सीट से लोकसभा सांसद राकेश सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री तरूण भनोत को मौका दिया है। 2008 में यहां से भाजपा के हरेन्द्र जीत सिंह ‘बब्बू’ 8,901 वोटों से चुनाव जीते थे। अगले दोनों चुनावों में कांग्रेस के तरुण भनोत ने पार्टी को जीत दिलाई। उन्हें क्रमशः 923 और 18,683 वोटों से जीत मिली थी।

    19. सीधीः- पेशाब कांड के कारण सीधी जिला पिछले दिनों खूब चर्चा में रहा। लगभग एक साल पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिसमें सीधी जिले के कुंवारी के रहने वाले दशमत रावत के ऊपर मौजूदा विधायक केदारनाथ शुक्ल के पूर्व प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ल ने नशे की हालत में पेशाब किया था। इसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की और तत्काल NSA लगाकर प्रवेश शुक्ल के घर को भी जमींदोज कर दिया था। उसी के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव में विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ला का टिकट भी काट दिया गया और उनकी जगह मौजूदा सांसद रीति पाठक को टिकट दे दिया गया। यहां बीते तीन चुनावों में भाजपा को केदारनाथ शुक्ला ने जीत दिलाई थी। 2008, 2013 और 2018 में केदारनाथ की जीत का अंतर् क्रमशः 26,822, 2,360 और 19,986 वोटों का था।

    20. हरसूदः- यहां से भाजपा ने शिवराज सरकार में वन मंत्री कुंवर विजय शाह को टिकट थमाया है। वहीं कांग्रेस ने सुखराम साल्वे को अपना उम्मीदवार बनाया है। पिछले तीनों चुनावों में यहां भाजपा को जीत मिली है। 2008 में विजय शाह की जीत का अंतर 21,041 वोटों का था जो 2013 में 43,571 वोट और 2018 में 18,949 वोटों का रहा।

    21. रहलीः- शिवराज सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में शामिल गोपाल भार्गव यहां से मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस की ज्योति पटेल से है।

    22. सुरखीः- इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत मैदान में हैं। राजपूत 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। उनका मुकाबला कांग्रेस के नीरज शर्मा से है।

    23. खुरईः- शिवराज सरकार वरिष्ठ मंत्री भूपेंद्र सिंह इस सीट से मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस की रक्षा राजपूत से है।

    24. राउः- राउ सीट से पूर्व मंत्री जीतू पटवारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा से मधु वर्मा हैं।

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