नई दिल्ली (New Delhi) । चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अंतरिक्ष यान को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने वाले LVM3 M4 प्रक्षेपण यान का ‘क्रायोजेनिक’ ऊपरी हिस्सा बुधवार को पृथ्वी के वायुमंडल में अनियंत्रित रूप से पुनः प्रवेश कर गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने यह जानकारी दी। सितंबर में स्लीप मोड में गए लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अब तक सक्रिय नहीं हो सके हैं।
इसरो ने एक बयान में कहा, ‘संभावित प्रभाव बिंदु का अनुमान उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर लगाया गया है। अंतिम ‘ग्राउंड ट्रैक’ (किसी ग्रह की सतह पर किसी विमान या उपग्रह के प्रक्षेप पथ के ठीक नीचे का पथ) भारत के ऊपर से नहीं गुजरा।’ इसरो ने बताया कि यह ‘रॉकेट बॉडी’ एलवीएम-3 एम4 प्रक्षेपण यान का हिस्सा थी।
यह अंतरराष्ट्रीय समयानुसार दोपहर दो बजकर 42 मिनट के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया। इसरो ने कहा कि रॉकेट बॉडी का पुन: प्रवेश इसके लॉन्च के 124 दिनों के भीतर हुआ।
जब भारत ने रचा इतिहास
14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुए चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली थी। भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा और साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया था। इसके बाद करीब 14 दिनों (चांद पर एक दिन) में कई अहम जानकारियां जुटाईं।
सो रहे हैं विक्रम और प्रज्ञान
2 सितंबर को स्लीप मोड में गए विक्रम लैंडर अब तक लंबी नींद में हैं। हालांकि, ISRO भी लगातार कोशिश में है, लेकिन लैंडर और रोवर को अब तक दोबारा शुरू नहीं किया जा सका है। दरअसल, लैंडर और रोवर को पृथ्वी के 14 दिनों के हिसाब से ही तैयार किया गया था। ISRO के वैज्ञानिक पहले ही साफ कर चुके थे कि अगर दोनों दोबारा सक्रिय होते हैं, तो यह बोनस होगा।
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