मायने बदल गए हैं विकास के … सडक़, पानी, बिजली विकास नहीं जिम्मेदारी
इंदौर में ठिगनी इमारतें… सिकुड़ती सडक़ें फिर भी सरकार का सीना चौड़ा
इंदौर। अब विकास के मायने बदल गए हैं । सडक़, पानी, बिजली (roads, water, electricity) जैसी जरूरतों को पूरा करना विकास नहीं कहलाता है, यह तो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, जिन्हें पूरा करना हर सरकार की जवाबदारी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अग्निबाण से चर्चा करते हुए कहा कि विकास के मायने तय करने के लिए हर शहर की एक प्लानिंग होना चाहिए। आज की बदलती हुई जीवनशैली के अनुरूप आवश्यकताओं को पूरा करना और आने वाले 25 से 50 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शहरों को विकसित करना आज विकास की नई परिभाषा है। प्रदेश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले नगरों के विकास के लिए रीजनल मेट्रोपॉलिटन प्लान तैयार कराना और फिर उन्हें लागू करना मेरी प्राथमिकता है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर (Indore, Bhopal, Gwalior, Jabalpur) जैसे शहरों को ग्रेटर दिल्ली की तर्ज पर विकसित किया जाना चाहिए। इंदौर जैसे शहर की आवश्यकताएं तो बिलकुल अलग हैं । आश्चर्य होता है कि यहां छह-छह मंजिला बिल्डिंगों की कतार लगी है। यातायात अव्यवस्थित है और शहर का आकार बढ़ता जा रहा है। इंदौर बेहतर व्यवस्थाओं को पाने के लिए योग्य शहर है, पर बेहतर व्यवस्थाएं इंदौर को नहीं मिल रही हैं। इंदौर मध्यप्रदेश की आर्थिक इमारत है और इस इमारत को नई खिड़कियों, नए दरवाजों और नई मंजिलों की आवश्यकता है। इंदौर को एफएआर और पार्किंग व्यवस्था में सुधार चाहिए, फास्ट एंड रिस्पांसिव सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम चाहिए। सीधे-सीधे कहा जाए तो इंदौर को नए फोकस्ड एप्रोच की जरूरत है। हमारी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी। इंदौर 21वीं सदी का शहर बनेगा।
– इंदौर तो शिवराजजी के सपनों का शहर है…
-शिवराजजी तो झूठ बोलने की मशीन हैं । वे इंदौर को अपने सपनों का शहर बताते हैं, पर इंदौर के सपनों को साकार करने के लिए कुछ नही करते हैं । केवल एक्टिंग से गुमराह करते रहते हैं । आप जानते हैं कि इंदौर को मिनी बाम्बे कहा जाता था। आज इंदौर और मुंबई की तुलना करके देख लीजिए, आप खुद ही समझ जाएंगे कि शिवराजजी इंदौर को कहां तक पहुंचा पाए हैं? अब तक इंदौर को तो बेंगलुरु और हैदराबाद जैसा विकसित हो जाना चाहिए था। क्या 20 साल कम होते हैं? पर अब इंदौर का समय आ गया है। इंदौर 21वीं सदी का शहर बनेगा ।
– मात्र डेढ़ एफएआर में ऊंची बिल्डिंगें कैसे बनेंगी?
– देखिए, मैं तो हमेशा से कहता हूं कि शिवराजजी की सरकार टेलीविजन वाली सरकार है, जबकि सरकार विजन से चलती है। इंदौर के शहरीकरण की चुनौतियां अभूतपूर्व हैं और इसीलिए मैंने कहा कि इंदौर को फोकस्ड एप्रोच की जरूरत है । इंदौर को जमीन पर बढ़ाने के बजाय आकाश की बुलंदियों की तरफ बढ़ाना चाहिए । आज इंदौर की जो आवश्यकता है उसके अनुरूप एफएआर होना चाहिए। उसी अनुपात में पार्किंग व्यवस्था होनी चाहिए। दूरियां कम होंगी और ट्रैफिक आसान होगा तो इंदौर सरपट दौड़ेगा।
– ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाला पलायन कैसे रुक पाएगा?
ग्रामीण क्षेत्रों के पलायन का सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है। सरकार ने गांव में रोजगार के साधन ही उपलब्ध नहीं कराए और उसका कारण यह रहा कि उद्योगों को ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं नहीं दी गईं। हम न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करवाएंगे, बल्कि उन उद्योगों से स्थानीय लोगों को रोजगार की गारंटी भी दिलवाएंगे।
– शिवराजजी सालों से सरकार चला रहे हैं…
-मैं केवल इतना कहूंगा कि उनकी लोकप्रियता होती तो क्या उन्हीं की पार्टी उन्हें चुनाव में पोस्टर और होर्डिंग से गायब कर देती। उन्हें शिवराजजी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में क्यों शर्म आ रही है? मैं तो आपके प्रश्न के उत्तर में केवल यह प्रश्न पूछूंगा कि आप ही बताइए कि मध्यप्रदेश के इस चुनाव में भाजपा से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन है? लोकप्रियता का अंदाजा आप खुद लगा लेंगे ।
– आपने भी कई घोषणाएं की?
कांग्रेस पार्टी ने अपना वचन पत्र जारी किया है। घोषणाएं तो पिछले 18-20 सालों से मध्यप्रदेश में हो रही हैं। जहां तक कांग्रेस के वचनों को पूरा करने के लिए बजट की व्यवस्था की बात है तो हमने प्लान बनाया है । जब 2018 में सरकार बनी थी, तब भी सभी ने कह दिया था कि किसान कर्जमाफी नहीं हो सकती, पर हमने 27 लाख किसानों का 11500 करोड़ का कर्ज माफ करके दिखाया । हम अपने प्लान के हिसाब से वचनों को पूरा करेंगे ।
– जीत का क्या आधार है?
प्रदेश निरंकुश सत्ता से परेशान हो चुका है। आदिवासियों का शोषण हो रहा है। भ्रष्टाचार हद तक बढ़ चुका है। नेता-अधिकारी सब लूटने-खसोटने में लगे हैं। प्रदेश में महिलाएं असुरक्षित हैं। कानून-व्यवस्था समाप्त हो चुकी है। अत्याचार बढ़ रहे हैं। प्रदेश की जनता अब विकल्प चाहती है। टिकट के लिए कतार लगी यही जीत का प्रमाण
– कांग्रेस के कई नेता बगावत कर चुनाव मैदान में खड़े हुए हैं, यह कितना नुकसान पहुंचाएंगे?
जनता बागियों को नहीं कांग्रेस को चुनेगी। जिन लोगों ने बगावत की है, उनका स्वार्थ जनता की समझ में आएगा। केवल टिकट की खातिर बरसों की वफा को जो खूंटी पर टांग जाएगा वो जनता से क्या वफादारी निभाएगा। हमारे यहां टिकट के लिए कतार लगी है। यही कांग्रेस की जीत का प्रमाण है।
– भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में बागी क्यों…
– देखिए, चुनाव में पार्टी के एक कार्यकर्ता को ही टिकट दिया जा सकता है, जबकि दावेदार तो अनेक होते हैं और इस बार तो सभी को विश्वास है कि कांग्रेस सत्ता में आ रही है, इसलिए कांग्रेस में और भी ज्यादा दावेदार थे । जहां तक प्रश्न कम और ज्यादा बागी होने का है तो यह तो मीडिया का बनाया परसेप्शन-भर है। आप गौर से देखिए, बागी तो भाजपा में बहुत ज्यादा हैं, आपको दिख नही रहे हैं, पर अंदरूनी तौर पर तो खुली खिलाफत कर रहे हैं।
किसानों की जमीनें नहीं छीनेंगे
हमने अपनी अल्पकालीन सरकार में ही किसानों की जमीनों को योजना से मुक्ति का ऐलान कर दिया था। उनकी जमीनें छीनना तो दूर किसानों के जीवन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर प्रयास किए जाएंगे। फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाएगा। फसलों का बीमा कराया जाएगा। कर्जमाफी और मुफ्त बिजली की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। अन्नदाता को अन्न से विमुख नहीं किया जाएगा। हम आदिवासियों को भी उनका हक दिलाएंगे।
गूंगे रहे विधायक
-कमलनाथ ने कहा कि सत्तापक्ष के विधायक गूंगे बने रहे। प्रदेश में खुलेआम भ्रष्टाचार होता रहा, पर वे मौन रहे। अधिकारी उनकी सुनते तक नहीं थे और वो कुछ कर नहीं पाते थे। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के भविष्य पर ताला लगा रहा। कांग्रेस यह ताला खोलने जा रही है।
मैं अधिकारियों के साथ नहीं जनता-व्यापारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग करूंगा
शिवराजसिंह चौहान घंटों अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग कर उनका समय बर्बाद करते हैं। मैं मुख्यमंत्री बना तो अधिकारियों के साथ नहीं जनता और व्यापारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर उनकी समस्याएं सुनूंगा और अधिकारियों को साथ में रखकर हाथोहाथ समस्याओं का निराकरण कराऊंगा।
जनता हमारे कामकाज को देख चुकी है, छीनी हुई सरकार जनता खुद सौंपेगी
पांच साल पहले जनता ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सरकार सौंपी थी। हमारा डेढ़ साल का कार्यकाल विकास की संभावनाओं से भरपूर रहा। हमने अपनी क्षमता को साबित भी किया। भाजपा ने जनादेश पर लात मारकर हमसे सत्ता छीनी थी। अब खुद जनता छीनी हुई सरकार हमें वापस सौंपेगी और सत्ता खरीदने वालों को सबक सिखाएगी।
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