लखनऊ (Lucknow)। सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय (Sahara Group Chairman Subrata Roy) बीते कई महीनों से अस्वस्थ (unwell for several months) थे। करीब दो माह पूर्व वह इलाज के लिए मुंबई (Mumbai for treatment) गये थे। वह अपने पीछे पत्नी स्वप्ना राय (Wife Swapna Rai) और दो बेटों सुशांतो और सीमांतो (Two sons Sushanto and Seemanto) को छोड़ गए है। तीनो कई साल से विदेश में हैं।
करीब एक दशक पूर्व रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाले सहारा समूह का पतन सेबी के साथ हुए विवाद से शुरू हुआ। सेबी ने सहारा की दो कंपनियों में जमा निवेशकों की रकम को नियम विरुद्ध तरीके से दूसरी कंपनियो में ट्रांसफर करने पर आपत्ति करते हुए करीब 24 हजार करोड़ रुपए जमा कराने का आदेश दिया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कई महीने तक सुब्रत राय को जेल में रखा। सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी।
कोर्ट के आदेश पर बिकने वाली संपत्तियों से मिलना वाली रकम भी सहारा को सेबी के पास जमा कराने का आदेश दिया। सहारा ने कुछ किस्तों में सेबी को कुल जमा धनराशि का बड़ा हिस्सा दिया, लेकिन पूरी रकम को जमा नहीं कर सका। इस बीच सहारा ग्रुप की कंपनियों और उसके निदेशकों के खिलाफ कई राज्यों में सैंकड़ों मुकदमे दर्ज होते गए और पुलिस सुब्रत राय और बाकी निदेशकों की तलाश में लखनऊ समेत कई जगहों पर छापा मारती रही। हालांकि सहारा समूह को कुछ राहत तब मिली जब केंद्र सरकार ने सहारा के निवेशकों की रकम को वापस करने के लिए पोर्टल शुरू किया। सहारा समूह के पास वर्तमान में देश के कई शहरों में संपत्तियां हैं जिनकी कीमत दो लाख करोड़ से अधिक होने का दावा किया जाता है।
स्कूटर से शुरू किया था कारोबार
बिहार के अररिया जिले के निवासी सुब्रत रॉय ने कोलकाता और गोरखपुर में शिक्षा हासिल करने के बाद वर्ष 1978 में माइक्रो फाइनेंस का कारोबार शुरू किया था। देखते ही देखते सहारा समूह छोटे निवेशकों की कमाई को जमा करने और उनको लुभावने ब्याज पर रकम वापस करने वाला बड़ा समूह बन गया। बाद में सहारा समूह ने रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ आजमाया। वर्तमान में यह समूह इलेक्ट्रिक वाहन, इंश्योरेंस, मीडिया आदि सेक्टर में काम कर रहा है। सहारा के पास लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई में तमाम बेशकीमती संपत्तियां हैं, जिसमें एंबी वैली प्रमुख है।
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