नई दिल्ली: इस्लामाबाद हाई कोर्ट (Islamabad High Court) ने मंगलवार को सिफर मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (Pakistan Tehreek-e-Insaf) के अध्यक्ष इमरान खान (Imran Khan) की जेल सुनवाई के खिलाफ स्टे ऑर्डर जारी (Stay order issued) कर दिया. इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब (Justice Miangul Hasan Aurangzeb) और न्यायमूर्ति समन रफत इम्तियाज (Justice Saman Rafat Imtiaz) की दो सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया. इस दौरान कोर्ट ने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का जिक्र किया.
कार्यवाहक सरकार ने सोमवार को पूर्व पीएम इमरान खान और उनके करीबी सहयोगी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के खिलाफ गुप्त जानकारी लीक करने के मामले में जेल में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी. इसी मामले में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मंसूर अवान ने कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं. अटॉर्नी जनरल ने कहा- ‘कैबिनेट ने इमरान खान के जेल मुकदमे को मंजूरी दे दी’ इसकी अधिसूचना अदालत के समक्ष पेश की जाएगी.
सुनवाई के दौरान जस्टिस औरंगजेब ने कहा कि वे नोटिफिकेशन की जांच करेंगे, सभी मुकदमे खुली अदालत में होंगे, इसलिए यह मुकदमा असाधारण होगा. इस पर अटॉर्नी जनरल ने तर्क रखा कि यह कोई असाधारण सुनवाई नहीं बल्कि सिर्फ एक जेल सुनवाई है, जिसमें संबंधित एजेंसियों से रिकॉर्ड मांगकर अदालत के सामने रखे जाएंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि तीनों नोटिफिकेश हाईकोर्ट के नियमों के अनुरूप नहीं है, ये बताया जाए कि आखिर किन परिस्थितियों में ये निर्णय लिया गया कि जेल में मुकदमा चलाया जाएगा? इसके अलावा कोर्ट ने ये भी पूछा कि ये कारण भी स्पष्ट किए जाएं कि आखिर कैबिनेट में जेल में मुकदमे की मंजूरी क्यों दी?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इंदिरा गांधी का जिक्र किया. न्यायाधीश ने कह कि जब इंदिरा गांधी की हत्या के मामले जेल में मुकदमा चल रहा था, तब भी पत्रकारों को मुकदमे की कार्रवाई कवर करने की अनुमति दी गई थी. इसके बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने जेल में मुकदमे के खिलाफ इंट्रा कोर्ट अपील पर सुनवाई 16 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पिछले साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के बाद पद से हटा दिया गया था. उन्होंने ही जेल से मुकदमे के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. इससे पहले 16 अक्टूबर को अदालत की एकल पीठ ने 16 अक्टूबर को उनकी अपील खारिज कर दी थी. इसमें कहा गया था कि सिफर मामले में जेल सुनवाई के पीछे कोई स्पष्ट दुर्भावना नहीं है, बाद में इमरान खान ने उच्च बेंच में अपील दायर की थी.
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