7 माह में 35850 बच्चों का हुआ जन्म, उनमें 18698 लडक़े तो 17 हजार लड़कियों का जन्म, बीते कुछ वर्षों में सबसे कम हुआ लिंग अनुपात
इन्दौर। बीते कुछ वर्षों में लिंग अनुपात में अच्छा-खासा इजाफा हुआ था, जिसके पीछे सख्ती से लगाई गई भ्रूण लिंग परीक्षण के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी शामिल रहे। मगर इस साल यह लिंग अनुपात 27 फीसदी तक घट गया है। यानी लडक़े और लड़कियों की जन्म दर में फिर अंतर आ गया। अभी इंदौर का लिंग अनुपात प्रति हजार लडक़े पर 909 आ रहा है। जबकि गत वर्ष यह 938 और 2020 में तो सर्वाधिक 965 तक पहुंच गया था। यानी बीते एक दशक में सबसे कम लिंग अनुपात अभी दर्ज किया गया है। जबकि महिलाओं और लड़कियों से संबंधित आधा दर्जन से अधिक बड़ी योजनाएं भी प्रदेश में संचालित की जा रही है।
इस विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा (BJP) अपनी लाडली बहना योजना को ट्रम्प कार्ड मान रही है और उसका जोर-शोर से प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। वहीं बेटी बचाओ, लाडली लक्ष्मी, लाडो अभियान, शौर्य दल, मंगल दिवस योजना, स्वागतम् लक्ष्मी योजना से लेकर उषा किरण और गांव की बेटी योजना के साथ-साथ बालिका शिक्षा प्रोत्साहन, जननी सुरक्षा, सम्बल और अन्य ऐसी तमाम योजनाएं महिलाओं, लड़कियों के लिए चलाई जा रही है, ताकि उनकी जन्म दर में इजाफा हो सके। मगर आश्चर्यजनक रूप से इस साल अभी जुलाई के अंत तक 7 माह में ही लिंग अनुपात 27 फीसदी तक घट गया है। यानी इस दौरान 35850, जो कुल जन्म बच्चों के हुए उनमें 18698 लडक़े, तो उनकी तुलना में लड़कियों का जन्म सिर्फ 17 हजार ही हुआ है। यानी प्रति एक हजार लडक़ों पर 909 लड़कियों का ही जन्म हुआ है और यह आंकड़ा पूरे एक दशक का सबसे कम है। 2018 में यह लिंग अनुपात 933 था, तो 2019 में बढक़र 943 और 2020 में सर्वाधिक 965 तक दर्ज किया गया। जबकि उसके बाद 2021 में यह फिर तेजी से घटा और 925 पर पहुंच गया, लेकिन 2022 यानी पिछले साल इसमें कुछ वृद्धि हुई और यह लिंग अनुपात 938 दर्ज किया गया, लेकिन इस साल यह घटकर 909 पर आ गया है, जो कि महिलाओं, लड़कियों से संबंधित चल रही योजनाओं के लिए भी एक तरह का झटका ही है। क्योंकि इन योजनाओं का उद्देश्य ही यह है कि लड़कियों की जन्म दर तो बढ़े ही, साथ ही उन्हें सुरक्षा और सुविधाएं भी मिले, जिसके चलते लडक़ों के जन्म की समाज में जो चाहत है उसमें भी कमी आए। यही कारण है कि पीसीपीएनडीटी एक्ट का भी सख्ती से पालन कराया जाता रहा है। मगर इंदौर जैसे बड़े शहर में लिंग अनुपात इस तरह घटना स्वास्थ्य विभाग के लिए भी चिंता का विषय है। 2020 में 55997 बच्चों का जन्म इंदौर जिले में हुआ और उस पर सर्वाधिक लिंग अनुपात 965 दर्ज किया गया, जिसमें 30075 लडक़ों का और 29035 लड़कियों का जन्म हुआ।
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