वॉशिंगटन (washington) । NASA यानी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के अंतरिक्ष वैज्ञानिक मंगल ग्रह (Mars planet) की चट्टान के नमूने को वापस पृथ्वी (Earth) पर लाना चाहते हैं। इससे जीवन के संकेतों के अध्ययन करेंगे। नासा का मंगल सैंपल रिटर्न मिशन पहला मिशन होगा जब रॉकेट किसी दूसरे ग्रह से उड़ान भरेगा। हालांकि अब इस अंतरिक्ष मिशन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगल से नमूने लाने का मूल बजट अवास्तविक है और उस धन के साथ इस मिशन को अंजाम नहीं दिया जा सकता। इसमें आगे कहा गया कि वर्तमान में कोई विश्वसनीय, सुसंगत टेक्नोलॉजी नहीं है। इससे चार अरब डॉलर की राशि से इस मिशन को पूरा किया जा सके।
वैज्ञानिक इस बात से परेशान हैं कि मंगल का मिशन शुक्र के अध्ययन से जुड़ी परियोजनाओं को रद्द कर सकते हैं। वैज्ञानिक शुक्र ग्रह के अध्ययन से यह जानना चाहते हैं कि आखिर यह ग्रह पृथ्वी जैसा क्यों नहीं बन पाया। इसके अलावा ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करने वाले मिशन में भी इस कारण देरी हो सकती है। आयोवा यूनिवर्सिटी के प्लाज्मा भौतिक विज्ञानी एलीसन जेन्स ने कहा, आप हमारे विज्ञान की जीवनधारा की धमनी को काट रहे हैं।
ऐसे पूरा होगा मिशन
नासा के पर्सीवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की चट्टानों के सैंपल को टाइटेनियम ट्यूब में भरा है। नासा का लक्ष्य यहां एक लैंडर भेजना है, जिसे लॉकहीड मार्टिन की ओर से बनाया जा रहा है। पर्सिवरेंस रोवर इस ट्यूब को लैंडर में भरेगा और यहां से यह अंतरिक्ष में लॉन्च हो जाएगा। मंगल का चक्कर लगाने वाला एक ऑर्बिटर इसे पकड़ेगा और फिर यूरोपीय स्पेस एजेंसी का तीसरा स्पेसक्राफ्ट इसे अपने अंदर रखकर मंगल ग्रह की यात्रा करेगा।
धरती के वायुमंडल में इस सैंपल को एक पैराशूट के जरिए 2033 तक उतारा जाएगा। हालांकि स्पेस एजेंसी अभी कुछ जरूरी सवालों के जवाब खोज रही है। जैसे मंगल पर भेजा जाने वाला लैंडर कितना बड़ा होना चाहिए।
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