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    Diwali पर बेजुबान पशु-पक्षियों की जान पर भारी पड़ी आतिशबाजी, 100 से अधिक हुए घायल

  • November 14, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। दीपावली पर आतिशबाजी (Diwali Fireworks ) इंसानों (not only humans) ही नहीं बल्कि बेजुबानों की जान (cost also lives voiceless) पर भी भारी पड़ी है। लोगों की लापरवाही से कई पशु-पक्षी गंभीर रूप से घायल (Many animals and birds seriously injured) हो गए हैं। पटाखों की आवाज से कुछ पशु-पक्षी जहां अपने इलाके छोड़कर चले गए, वहीं कई आग की चपेट में आकर झुलसे हैं। यही नहीं कुछ की जान भी चली गई है। हालात यह हैं कि पटाखों की तेज आवाज से कई पक्षी अपने घोंसले से गिरकर बेहोशी की अवस्था में चिकित्सालयों में भर्ती किए गए हैं।


    कई पक्षियों की हड्डियां तक टूट गई हैं। इससे वह अब कभी खुले आसमान में परवाज नहीं भर पाएंगे। हालांकि, पशु-पक्षियों के लिए चिकित्सालयों में आपातकालीन सेवा शुरू थी, जहां इनका इलाज किया जा रहा है। अलग-अलग पशु-पक्षी चिकित्सालयों में 100 से अधिक घायल बेजुबान पहुंचे हैं। इनमें अधिकतर कबूतर, कौवा, तोते और बिल्ली व कुत्ते शामिल हैं।

    आतिशबाजी से हवा में घुले प्रदूषण से भी पक्षी परेशान हैं। परिंदों की सांस उखड़ने लगी है। बेजुबानों की सांसों पर संकट बढ़ गया है। इससे वह तनाव के साथ क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (सांस की बीमारी) से पीड़ित हो रहे हैं। चिकित्सालयों में पटाखों के घायल होने वाले पक्षियों की संख्या बढ़ रही है। आलम यह है कि पुरानी दिल्ली में दिगंबर जैन लाल मंदिर में स्थित पक्षियों के धर्मार्थ चिकित्सालय में 50 से अधिक पटाखों से जख्मी हुए पक्षी पहुंचे हैं। वहीं, यमुना विहार स्थित एक पशु चिकित्सालय में 20 के करीब कुत्ते और 12 से 15 बिल्लियां पटाखों की आग से झुलसकर पहुंची हैं। चिकित्सक ने बताया कि उनके पास दो बेसहारा कुत्ते ऐसे आए हैं, जिनकी पूंछ पर लोगों ने पटाखे बांध दिए थे।

    अब खाना खाने से डर रहे
    चंद मिनटों की खुशी के लिए की गई आतिशबाजी बेजुबानों के तनाव की वजह बन रही है। पुश-पक्षियों का इलाज करने वाले चिकित्सकों ने बताया कि पटाखों की तेज आवाज से यह घबरा जाते हैं। ऐसे इनमें तनाव की समस्या देखने को मिल रही है। चिकित्सक डॉ. हरअवतार सिंह ने बताया कि कई कुत्ते व बिल्लियों में पटाखों का इतना तनाव बढ़ गया है कि वह खाना खाने से डर रहे हैं और अपने आप को एक कोने में सीमित कर रहे हैं। इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। वह कहते हैं कि सबसे अधिक परेशानी बेसहारा पशु-पक्षियों को हुई है। पक्षी पक्षियों के धर्मार्थ चिकित्सालय में शास्त्री पार्क से घायल पक्षी को लेकर आए रोहताश ने बताया कि इलाके में काफी तेज पटाखे जलाए गए थे। ऐसे में एक कबूतर छत पर आकर गिर गया था। यह उड़ नहीं पा रहा है।

    घायल बेजुबानों की बढ़ी संख्या
    बीते वर्षों के मुकाबले इस वर्ष पटाखों से घायल हुए बेजुबानों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। चिकित्सक डॉ. सिंह ने बताया कि उनके पास बीते वर्ष लगभग 20 घायल पक्षी पहुंचे थे लेकिन इस वर्ष यह संख्या 50 से अधिक है। वहीं, कुत्ते-बिल्लियों की संख्या भी बढ़ी है। इनमें कबूतर, चील, तोते व कौवा शामिल हैं।

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