नई दिल्ली (New Delhi) । बात 1985 की है। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद उन्होंने देश की कमान संभाली थी। दिसंबर 1984 में हुए लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) में उनके नेतृत्व में कांग्रेस (Congress) ने सहानुभूति लहर के साथ प्रचंड बहुमत हासिल की थी। राजीव गांधी की नई सरकार में विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh) को 31 दिसंबर 1984 को केंद्रीय वित्त मंत्री बनाया गया था। उस वक्त वह राज्यसभा के सदस्य थे। वीपी सिंह 1980 से 82 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। बाद में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर लिया गया था।
वीपी सिंह जब वित्त मंत्री बने तो उन्होंने टैक्स चोरी को लेकर बहुत कड़ाई कर दी थी। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) समेत इनकम टैक्स और अन्य कराधान से जुड़े विभागों को उन्होंने कर चोरी करने वालों पर सख्ती बरतने के सख्त निर्देश दिए थे। उन दिनों धीरू भाई अंबानी DRI के निशाने पर थे। उन पर छापा पड़ने ही वाला था लेकिन यह खबर जानकर उन्हें लकवा मार दिया था। इसके बाद वीपी सिंह ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई टलवा दी थी।
इनकम टैक्स के अधिकारी कई व्यापारियों और सिने जगत के सितारों पर भी कड़ी निगाह रख रहे थे। इसी कड़ी में आयकर विभाग के कुछ अधिकारी उस वक्त की स्टार अभिनेत्री रेखा पर नजरें गड़ाए हुए थे। आयकर अधिकारी कई बार रेखा से पूछताछ कर चुके थे, इससे वह परेशान हो उठी थीं। इसलिए वह इस समस्या से निपटने की तरकीब ढूंढ रही थी।
वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद संतोष भारतीय ने अपनी किताब ‘वीपी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं’ में लिखा है, “रेखा के मैंने कई इंटरव्यू किए। एक दिन उन्होंने कहा कि वह वीपी सिंह से मिलना चाहती हैं। मैंने सवाल पूछा कि क्या हो गया, तो बोलीं कि इनकम टैक्स के अधिकारी बहुत परेशान कर रहे हैं। मैंने कहा, आपकी समस्या शायद ही हल हो पाए क्योंकि वीपी सिंह कभी ऐसी समस्याओं में नहीं पड़ा करते लेकिन आपको शायद मिलवा दूं।”
भारतीय ने आगे लिखा कि दिल्ली पहुंचकर जब उन्होंने वीपी सिंह से अनुरोध किया कि वे 10 मिनट रेखा से मिल लें, तो वह अनुरोध मान गए। इसके बाद रेखा को सूचना दे दी। तीन-चार दिनों बाद रेखा दिल्ली आ गईं। भारतीय लिखते हैं, अगले दिन वे मेरे साथ वित्त मंत्रालय गईं। वित्त मंत्रालय के गलियारे लोगों से भरे थे। वे जब वित्त मंत्री के कमरे में पहुंचीं तो इतना बड़ा कमरा देख चकित हो गईं। वीपी सिंह तब फाइलें निपटा रहे थे। देखकर उठे, नमस्कार किया और सोफे पर आकर बैठ गए। चाय आई, सभी ने चाय पी, फिर रेखा जी ने कुछ बातें करने के बाद अपनी समस्या बताई। वीपी सिंह खामोश रहे, कुछ कहा नहीं लेकिन बाद में पता चला कि रेखा की समस्या हल हो गई।”
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