इन्दौर। विधानसभा चुनाव लड़ रहा हर उम्मीदवार अधिकतम 40 लाख रुपए का चुनावी खर्च आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक कर सकता है, लेकिन इससे भी बहुत कम खर्चा अधिकांश उम्मीदवारों द्वारा बताया जाता है, जबकि एक-एक उम्मीदवार इससे कई गुना अधिक यानी करोड़ों रुपए की राशि खर्च करता है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अभी तक का अपना चुनावी खर्च लगभग साढ़े 3 लाख बताया है, तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने तो मात्र 96 हजार रुपए ही खर्च किए हैं। सांवेर से काबिना मंत्री तुलसीराम सिलावट ने दो चुनावी सभाओं पर साढ़े 4 लाख रुपए खर्च कर दिए, तो राऊ से चुनाव लड़ रहे वर्तमान विधायक कांग्रेस के जीतू पटवारी ने 12 हजार रुपए से अधिक की चाय पिला दी।
अधिकांश उम्मीदवारों ने अपने चुनावी खर्च का हिसाब-किताब नहीं दिया है। हालांकि इंदौर की 9 विधानसभा सीटों में से अधिकांश को चुनावी खर्च के लिए संवेदनशील भी माना गया है। सिर्फ विधानसभा 4 में ही कम राशि खर्च हो रही है, क्योंकि भाजपा की विधायक श्रीमती मालिनी गौड़ एक झंडे के बल पर ही चुनाव लड़ती है और अयोध्या मानी जाने वाली इस सीट पर उनके द्वारा बहुत कम खर्चा किया जाता है। उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राजा मंधवानी को अवश्य खर्चा अधिक करना पड़ रहा है। इंदौर का सबसे महंगा चुनाव विधानसभा 1 में लड़ा जा रहा है, जहां पर दोनों प्रत्याशियों द्वारा लगभग 100 करोड़ रुपए तक खर्च किए जाने का अनुमान है। अभी निर्वाचन अधिकारियों ने लगभग 16 उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर खर्च का ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं। 92 उम्मीदवार इन 9 विधानसभा में से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि 18 उम्मीवाद, जो कि कांग्रेस-भाजपा के हैं उनके द्वारा ही अधिक खर्च किया जाता है।
नामांकन भरने के साथ ही उम्मीदवारों के चुनावी खर्च का मीटर शुरू हो जाता है और अभी तो मतदान में मात्र 4-5 दिन ही बचे हैं। लिहाजा सभी उम्मीदवार अपनी थैलियां खोलेंगे और अभी दीपावली पर भी जमकर उपहार, नकदी सहित अन्य सामग्री बांटी जा रही है। अधिकृत रूप से एक उम्मीदवार 40 लाख की राशि खर्च कर सकता है, लेकिन जब अंतिम खर्च का ब्योरा दिया जाता है तब इससे एक चौथाई यानी 10 लाख का खर्चा भी अधिकांश उम्मीदवार घोषित नहीं करते। यहां तक कि कमलनाथ का ही चुनावी खर्च अभी तक का साढ़े 3 लाख, तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का 96 हजार बताया गया है। जबकि अन्य मंत्रियों की बात करें तो कमल पटेल ने 10 हजार के दुपट्टे और डेढ़ हजार रुपए आलू बड़े पर खर्च करना बताए, तो तुलसी सिलावट ने भी 12 हजार के गमछे बांट दिए और लगभग 3 लाख रुपए शिवराजसिंह चौहान की सभा पर और डेढ़ लाख रुपए सिंधिया की रैली पर खर्च होना बताए हैं। अरविन्द भदौरिया ने 26 हजार रुपए की राशि हेलीपेड के निर्माण पर खर्च करना बताई, तो जगदीश देवड़ा ने 60 हजार रुपए के भोजन पैकेट बंटवा दिए। वहीं एक अन्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने 30 हजार रुपए चुनावी प्रचार के दौरान चाय पर खर्च करना बताए। इसी तरह राऊ से चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी ने 3 हजार चाय कप पर 12 हजार रुपए खर्च करना बताए। इसी तरह विश्वास सारंग ने ढोल और अन्य पर भी 9-10 हजार रुपए खर्च करना बताए हैं। प्रियवर्त सिंह ने साढ़े 4 हजार रुपए से अधिक की चाय पिला दी। इन सभी उम्मीदवारों को लगातार अपने चुनावी खर्च का ब्योरा देना है और चुनाव परिणामों के घोषित होने के बाद अंतिम हिसाब-किताब प्रस्तुत करना पड़ेगा। अभी 17 नवम्बर को मतदान है और तब तक ही इन उम्मीदवारों को चुनावी खर्च करना पड़ता है और चुनाव परिणाम 3 दिसम्बर को घोषित होना है। तब तक कोई भी उम्मीदवार अधिकृत रूप से 40 लाख रुपए की राशि खर्च करना भी नहीं बताएगा, जबकि करोड़ों रुपए दो नम्बर में खर्च कर दिए जाते हैं। इंदौर की 9 विधानसभा सीटों पर ही 300 करोड़ रुपए से अधिक के खर्च का अनुमान है और प्रदेशभर की 230 सीटों पर तो हजारों करोड़ रुपए दलों और उम्मीदवारों द्वारा खर्च किए जा रहे हैं।
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