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    अपने काम और फैसलों से प्रतिष्ठा बनाएं, जजों को CJI की नसीहत; अवमानना पर की बड़ी टिप्पणी

  • November 09, 2023

    नई दिल्ली: देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत की अवमानना के नियम को लेकर बड़ी बात कही है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत की अवमानना का नियम किसी जज को आलोचना से बचाने के लिए नहीं है, बल्कि उसका उद्देश्य अदालत की न्याय प्रक्रिया में किसी व्यक्ति के दखल को रोकना है. एक जज के तौर पर 23 साल और चीफ जस्टिस के पद पर एक साल पूरा करने के मौके पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि अदालतों का काम यह सुनिश्चित करना है कि राजनीति अपन सीमाओं में ही रहे.

    एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अदालत की अवमानना के कानून की व्याख्या करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति कोर्ट के फैसले का अपमान करता है या उसके बारे में गलत बात करता है तो यह अवमानना का मसला होगाय. कोई अदालत की कार्यवाही को बाधित करता है या उसके दिए आदेश के पालन में आनाकानी करता है तो उसे भी अवमानना माना जाता है. मगर उन्होंने यह साफ किया कि अगर किसी जज के खिलाफ कोई अपनी राय रखता है तो उस मामले में अदालत की अवमानना का केस नहीं बनता.


    उन्होंने कहा कि मैं पूरी स्पष्टता के साथ यह मानता हूं कि अवमानना के नियम का इस्तेमाल किसी जज को आलोचना से बचाने के लिए नहीं किया जा सकता. अदालतों और जजों को अपनी प्रतिष्ठा काम और फैसलों से बनानी चाहिए. यह अवमानना के नियम से स्थापित नहीं हो सकती. जजों की प्रतिष्ठा का निर्धारण तो उनके द्वारा दिए गए फैसलों और कामकाज से होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अदालतों को मीडिया और नागरिकों से संवाद बनाए रखना चाहिए.

    चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कई बार सोशल मीडिया की पोस्ट परेशान करती है और वे बातें भी, जिनमें जजों के नाम शेयर किए जाते हैं, जो वे कहते भी नहीं. चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसी चीजों से निपटने के लिए यह जरूरी है कि हम ही उचित संवाद रखें. इससे गलत जानकारी देने वाले मंच अपने आप ही कम या खत्म हो जाएंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने एक प्रयोग शुरू करने का फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक न्यूजलेटर जारी किया जाएगा. इसमें अदालत में हुए फैसलों की जानकारी सीधे जनता को मिलेगी.

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि इससे गलत सूचना देने वाले मंच अपने आप ही खत्म होने लगेंगे. वहीं, जनहित याचिका को लेकर भी उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से आम लोग से जुड़े जरूरी मामले उठाए जाते रहे हैं और यह जरूरी चीज है. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि कई बार इनका इस्तेमाल राजनीतिक हित साधने या फिर चर्चा पाने के लिए भी होने लगा है.

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