इंदौर। भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय (BJP candidate Kailash Vijayvargiya) ने कहा कि मुझे इस क्षेत्र की सेवा के लिए हनुमानजी ने भेजा है। पितृ पर्वत पर शहर की सुरक्षा और विकास एवं विस्तार के आशीर्वाद के लिए जब हमने हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की तब इसी क्षेत्र से गुजकर हमने इस प्रण को पूरा किया था। उन्हीं के आशीर्वाद और आकांक्षा के कारण मैं इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ रहा हूं। मैं अपनी विजय को हनुमानजी का ही आशीर्वाद मानकर क्षेत्र की जनता की सेवा करूंगा।
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं अपना क्षेत्र छोडक़र कब इस क्षेत्र के समीप स्थित पहाड़ पर पहुंच गया। जब मैं महापौर था, तब मेरे मन में इच्छा हुई कि पितरों की स्मृति (Smriti) का कोई केन्द्र बनना चाहिए और इसी सोच के साथ हमने श्राद्ध पक्ष में गोम्मटगिरि के समक्ष स्थित पहाड़ी का चयन कर अपने पितरों की स्मृति में पौधारोपण का कार्यक्रम रखा। उस पहले ही दिन पर्वत पर इतनी तादाद में लोग आए कि एक ही दिन में हजार से अधिक पौधे रोप दिए गए और उसी दिन से हमने उस पर्वत का नाम पितृ पर्वत रख दिया। इसके बाद तो दो-चार साल में वहां अपने पूर्वजों की स्मृति को स्थायी करने के लिए शहरभर के लोगों का सिलसिला शुरू हो गया। कई लोग अपने रोपे हुए पौधों को अपने माता-पिता मानकर उन्हें लहलहाता देख भावुक होने लगे और नए आने वाले वहां पौधे रोपने लगे। हम हर साल वहां कार्यक्रम रखने लगे, तभी एक खयाल आया कि पितृ तो विराजित हो गए, अब भक्ति भी स्थापित होना चाहिए और हमने वहां हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प ले लिया और आज यह बात समझ में आई कि मैंने अपना विधानसभा क्षेत्र छोडक़र इस क्षेत्र को क्यों चुना, क्योंकि वो हनुमानजी का आदेश था कि इस क्षेत्र की जनता को राम मानकर मुझे उनकी सेवा करना है।
मेरे साथ हजारों पितरों का आशीर्वाद…
पितृ पर्वत का निर्माण दरअसल लोगों में अपने पूर्वजों की श्रद्धा का भाव स्थापित करने और उन्हें स्थान देने के लिए किया गया था। आज पितृ पर्वत न केवल हजारों पूर्वजों की धरोहर बना हुआ है, बल्कि परिजन अपने पूर्वजों के नाम पर रौपे गए पौधे को लहलहाता देखते हैं तो ऐसा लगता है कि उनके अपने बिछुड़े हुए परिजन जीवंत हो उठे हैं। ऐसे लोग कई घंटों पितृ पर्वत पर ठहरकर इन पेड़ों को निहारते और बतियाते नजर आते हैं। मेरे साथ उन हजारों पितरों का भी आशीर्वाद है।
और हनुमानजी का कद बढ़ता चला गया
पितृ पर्वत पर विराजित प्रतिमा इस शहर ही नहीं प्रदेश की सबसे ऊंची और पूरे देश की विलक्षण प्रतिमा है। इस प्रतिमा की स्थापना की भी बड़ी विचित्र कहानी है। पितृ पर्वत पर पौधारोपण के दौरान उपस्थित भक्तों के बीच जब हमने हनुमानजी की प्रतिमा की स्थापना के बारे में सोचा तो कार्यक्रम के बीच पर्वत से ही फोन लगाकर जयपुर के कारीगरों को प्रतिमा बनाने के लिए कहा। उस वक्त सामान्य आकार की प्रतिमा निर्माण के लिए कारीगर सहमत हो गए, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया वैसे-वैसे प्रतिमा का आकार बढ़ता गया और दो साल में बनने वाली सामान्य प्रतिमा आज 66 फीट ऊंची और अष्ट धातु से निर्मित 108 टन वजनी होकर जहां पूरे देश का गौरव बनी हुई है, वहीं प्रतिमा के साथ 9 टन की 21 फीट की गदा स्थापित है, वहीं 200 फीट की रामायण भी पूरे देश में पहली है। खास बात यह है कि जैसे-जैसे प्रतिमा का आकार बढ़ा, वैसे-वैसे इस शहर का विस्तार होता चला गया। इंदौर ने स्वच्छता से लेकर हर खिताब जीते और आज इंदौर शहर पूरे देश का खिताबी शहर बन गया।
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