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    पाकिस्तान के साथ सेना की भी हालत बदतर, घर में हो रहे आतंकी हमले, राजनीति में भी हुई कमजोर

  • November 06, 2023

    इस्लामाबाद (islamabad) । आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे पाकिस्तान की सेना (pakistan army) की भी हालत बदतर हो गई है। पाकिस्तान में आए दिन होने वाले आतंकी हमलों में आम लोगों के साथ सैनिकों की भी जान चली जाती है। इसके अलावा आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना को टारगेट पर रखा है। पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर हमले बढ़े हैं। साल 2014 में टीटीपी के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन जर्ब-ए-अजब का बदला अब आतंकी भी लेने पर उतारू हैं। वहीं इमरान खान के जुबानी हमलों की वजह से भी पाकिस्तानी सेना को नुकसान हुआ है। उसकी राजनीतिक पकड़ भी कमजोर हो गई है। आतंकियों को पालने वाली पाकिस्तानी सेना आज टीटीपी और अन्य आतंकी संगठनों का निशाना बन रही है।


    पाकिस्तानी सेना पर हो सकता है बड़ा हमला
    बीते सप्ताह सेना के काफिले पर हुए दो हमले में कम से कम 14 सैनिकों की मौत हो गई। ग्वादर और मियांवाली में ट्रेनिंग बेस कैंप पर आतंकियों ने हमला किया था। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना की हालत और भी खराब होने वाली है। आतंकियों ने यह तो केवल टेस्ट किया है। आगे चलकर वे बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि 2014 में भारी नुकसान के बाद पाकिस्तानी सेना ने आतंकी ठिकानों पर छापा मारा था। इसमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान भी शामिल था। हालांकि इस बार पाकिस्तान ने आतंकी संगठन के खिलाफ कोई बड़ा ऐक्शन नहीं लिया है।

    राजनीतिक समर्थकों ने भी सेना को बनाया निशाना
    पाकिस्तान की सेना सिर्फ आतंकियों का ही निशाना नहीं बन रही है बल्कि आम लोगों ने भी कई बार ठिकानों पर हमला किया है। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भी लाहौर कॉर्प्स कमांडर के सेंटर पर भीड़ ने हमला कर दिया था और बड़ा नुकसान पहुंचाया था।

    तालिबान बना है खतरा
    पाकिस्तान के लिए तालिबान भी गले की फांस बना हुआ है। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है और तालिबान से जुड़े संगठन पाकिस्तान के सीमाई इलाकों में मजबूत हो गए हैं। एक एक्सपर्ट ने कहा, टीटीपी अब काफी मजबूत हो गया है। इसे हथियार और पैसा कंधार से मिल रहा है। तालिबान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ बड़ी सेना तैयार करना चाहता है। पाकिस्तान में इन दिनों इसी वजह से आतंकी हमले हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि 2014 के ऑपरेशन के बाद टीटीपी कमजोर हो गया था लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने से यह भी मजबूत स्थिति में पहुंच गया है।

    भारतीय सेना के रिटायर्ड ले. जनरल अभय कृष्णा ने कहा कि अफगानिस्तान का तालिबान भी टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से डरता है। उसे डर है कि कहीं यह आईएसआईएस से हाथ ना मिला ले। इसलिए तालिबान की सरकार टीटीपी पर कार्रवाई नहीं करती है और ऐसे में पाकिस्तान के सीमाई इलाकों में टीटीपी सैन्य ठिकानों को निशाना बना देता है।

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