मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जारी जरंगे आंदोलन के चलते हालात बिगड़ने की संभावना बनी हुई है। इस बीच राज्य सरकार ऐसे मराठों को जिनके पास कुणबी भी होने के सबूत वाले कागजात हैं, उन्हें कुनबी प्रमाण पत्र देने की शुरुआत कर रही है। इधर राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाडे ने कहा कि जिन 11000 मराठाओं के पास कुणबी होने के कागजी सबूत है उन्हें प्रमाण पत्र दिया गया तो उनका विरोध नहीं रहेगा। लेकिन अगर राज्य के सारे मराठाओं को ही कुनबी प्रमाण पत्र देकर उनका ओबीसीकरण करने का प्रयास किया गया तो ओबीसी महासंघ आंदोलन करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार ऐसा करने का प्रयास ना करे।
ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बबनराव तायवाडे ने कहा कि ओबीसी समाज में लगभग 400 के आस-पास जातियां आती हैं। ओबीसी समाज कभी भी नहीं चाहेगा कि मराठों को ओबीसी समाज में से आरक्षण दिया जाए। सरकार ने ओबीसी समाज को लिखित आश्वासन दिया है कि मराठाओं को ओबीसी समाज के अंदर का रिजर्वेशन नहीं दिया जाएगा। यदि गलती से भी सरकार यह कदम उठाती है तो 400 जातियां सड़कों पर आ जाएंगी। ओबीसी समाज का कहना है कि 22 दिनों तक ओबीसी समाज ने महाराष्ट्र में आंदोलन किया। उसके बाद उन्हें सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन दिया गया है कि मराठों को ओबीसी समाज से आरक्षण नहीं दिया जाएगा। लेकिन यदि सरकार इस तरीके की गलती करती है तो ओबीसी समाज तीव्र आंदोलन करेगा।
आरक्षण की रक्षा के लिए सड़क पर उतरेगा ओबीसी समाज
ओबीसी समाज का कहना है कि 1967 से पहले किसी भी समाज का यदि का सर्टिफिकेट में ओबीसी का जिक्र है, और ओबीसी को मिल रहे आरक्षण की सुविधा में यदि रखा जाता है तो ओबीसी महासंघ का उसमें कोई विरोध नहीं है। अभी राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ वेट एंड वॉच की भूमिका निभा रहा है। 22 दिनों तक ओबीसी समाज ने आंदोलन किया था कि मराठों का आरक्षण ओबीसी में से ना दिया जाए। बिना किसी लीगल सपोर्ट के आधार पर मराठों को ओबीसी में आरक्षण दिया जाता है तो ओबीसी समाज अपने आरक्षण की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरेगी।
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