भोपाल (Bhopal)। भोपाल रेलवे स्टेशन (Bhopal Railway Station) से ठिकाने तक पहुंचने के लिए पहली मुलाकात एक ऑटो चालक बाबू खां (auto driver babu khan) से हुई। कोई 35-40 वर्ष का नजर आ रहा बाबू खां शिवाजी नगर पहुंचाने के लिए बढ़ा ही था, कि एक वाहन कांग्रेस का बड़ा होर्डिंग (Big hoarding of Congress) ले जाते हुए नजर आ गया। इसी बहाने विधानसभा चुनाव (assembly elections) पर चर्चा शुरू हो गई। बाबू खां से पूछा कि क्या कांग्रेस सरकार बना सकती है? जवाब देने से पहले खुद का सवाल दागा…कहां से आए हो? जवाब पुरसुकून महसूस होने पर बोला, लोग मामा (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान-Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) से ऊब गए हैं। पिछले चुनाव में हारने के बाद मामा ने कांग्रेस को जिस तरह तोड़कर सरकार बनाई, लोग बहुत गुस्सा थे। दो-तीन महीने पहले चुनाव हुआ होता, तो सूफड़ा साफ हो जाता। मगर भाजपा ने बड़े-बड़े लोगों को चुनाव में खड़ा कर दिया है…लोग अंदाजा ही नहीं लगा पा रहे कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? लड़ाई अब कांटे की हो गई है। वह यह भी बताते हैं कि हारे-जीते कोई भी, वह वोट हमेशा कांग्रेस को ही देते हैं। आखिर में पूछने पर बताया कि नाम बाबू खां हैं और स्टेशन के पास ही रहते हैं।
मैहर के रहने वाले नीरज यादव भोपाल में मास्टर ऑफ फार्मेसी की पढ़ाई के साथ फार्मा इंडस्ट्री में नौकरी भी कर रहे हैं। कहते हैं, सरकार ने शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अच्छा काम किया है, लेकिन मैहर, सीधी और रीवा में अच्छी सड़कों की कमी है। पानी की दिक्कत है। अस्पतालों में दवाओं की कमी है। सीएम के नाम पर किसी नए और युवा को जिम्मेदारी देने की बात कहते हैं। वे कहते हैं, पीएम नरेंद्र मोदी अच्छा काम कर रहे हैं। वे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हैं और कहते हैं कि अपराधियों के खिलाफ फॉर्मूला-न जेल न बेल, सीधा भगवान से मेल…अच्छा है।
सियासी भ्रमण के बीच सवाल चाहे आम लोगों से कीजिए या चुनावी रणनीति बनाने वाले नेताओं से, या फिर सियासी समीकरणों पर नजर रखने वाले विश्लेषकों से…ले-देकर सब ऑटो चालक बाबू खां वाली तस्वीर पर ही आकर टिक जाते हैं। सीएम चेहरे के बदलाव वाली नीरज की बात से इत्तेफाक करने वाले भी मिलते हैं। भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी मिश्रा कहते हैं कि तीन महीने पहले तक कांग्रेस काफी आगे थी। मगर, जून-जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुनावों में एंट्री के बाद से भाजपा ने वापसी की है।
एमपी के मन में मोदी’ कैंपेन
पार्टी ने ‘एमपी के मन में मोदी’ कैंपेन चलाकर सरकार को लेकर बनी नकारात्मकता कम की। फिर दिग्गज केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों को प्रत्याशी बनाने का दांव चला। सीएम शिवराज ने कांग्रेस के कई वादों को चुनाव एलान से पहले ही पूरा कर दिया। इसमें सीएम लाडली बहना योजना के अंतर्गत महिलाओं को हर महीने 1250 रुपये और 450 रुपये में सिलिंडर की सुविधा देने की शुरुआत हो चुकी है। लाडली बहना की धनराशि चरणबद्ध तरीके से 3000 रुपये तक करने का वादा भी शामिल है। भाजपा इसे गेमचेंजर के रूप में देख रही है।
चुनाव विश्लेषक भावेश झा कहते हैं, कांग्रेस के पक्ष में दो बड़े फैक्टर हैं। पहला, तमाम लोग डेढ़ दशक से एक ही सरकार को देखते-देखते ऊब होने की बात कर रहे हैं। दूसरा, भाजपा के उलट मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस में कोई द्वंद्व नहीं है। कांग्रेस पूर्व सीएम कमलनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस ने जिन मुद्दों पर 2018 के चुनाव में जनादेश प्राप्त किया था, उनमें से ज्यादातर को फिर दोहराया है। हालांकि वह यह भी याद दिलाते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी चयन में चूक गई है। भाजपा की अपेक्षा वहां ज्यादा विरोध है। कमलनाथ अपने कार्यकाल में ज्यादातर वादों पर अमल नहीं कर पाए। लोग वचनपत्र पर अमल के लिहाज से भाजपा पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। शायद इसी वजह से सत्ता जाने के तत्काल बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल सका था। 28 सीटों में से भाजपा के 19 के मुकाबले उसे 9 सीटें ही मिली थीं।
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