नई दिल्ली (New Delhi) । कतर की अदालत (qatar court) ने भारत (India) के आठ पूर्व नौसैनिकों (ex navyofficers) को जासूसी के आरोप में मौत की सजा (Death Punishment) सुना दी। हालांकि जिस तरह से कतर में उनकी गिरफ्तारी हुई और अदालत ने सजा मुकर्रर कर दी , उस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव साफ नजर आता है। इन आठ पूर्व नेवी अधिकारियों में शामिल कमांडर पुरेंदु तिवारी (रिटायर्ड) के परिवार का कहना है कि उन्हें कतर की न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है। पुरेंदु तिवारी की बहन मीतू भार्गव ने कहा कि उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री मोदी के दखल की मांग की है ताकि आठों भारतीयों को वापस लाया जा सके।
85 साल की बूढ़ी मां का बुरा हाल
गुरुवार को कतर की अदालत ने आठ भारतीय पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी। भार्गव परिवार के लिए यह बेहद कठिन वक्त था। सबसे ज्यादा कठिन था इस बात की जानकारी 85 साल की मां को देना। पुरेंदु तिवारी की अब मां ही जीवित हैं। भार्गव ने कहा, वह बहुत परेशान हैं और दिल की मरीज भी हैं। उन्होंने कहा, हमारे परिवार ने नौसेना प्रमुख से मुलाकात की है और जल्द ही विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलकर अपनी समस्या सामने रखेंगे।
भार्गव ग्वालियर में रहती हैं और वह आठ भारतीयों की पहली रिश्तेदार थी जिन्होंने इस मामले में केंद्र सरकार से मदद मांगी थी। पिछले साल ही उन्होंने अधिकारियों से संपर्क साधा था। हालांकि अब उन्हें लगता है कि इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री को दखल देने की जरूरत है क्योंकि अब समय बहुत कम बचा है। भार्गव ने कहा, हमने रक्षा मंत्री से भी मुलाकात की। बीते साल संसद में जयशंकर जी ने कहा था कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है और उनको बचाना हमारी प्रायॉरिटी है। हालांकि अब समय वह आ गया है कि किसी और से शायद ही काम करे। हम आदरणीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन करते हैं कि आठों भारतीयों को वापस लाने के लिए सीधा दखल दें। हम अब किसी और के बारे में नहीं सोच सकते।
उन्होंने कहा, कतर हमारा दोस्त देश है। वह भारत की बात जरूर सुनेगा। मैं चाहती हूं कि केवल मेरा भाई नहीं बल्कि सभी वापस लौटें। उन्होंने बताया, मेरा बाई एक वरिष्ठ नागरिक है और उसकी उम्र 63 साल है। उन्हें 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान मिला था। वह आखिर इजरायल के लिए जासूसी क्यों करेंगे। इस उम्र में आखिर उन्हें यह सब करने की क्या जरूरत है। बता दें कि कतर ने स्पष्ट यह भी नहीं बताया है कि आखिर उनपर आरोप क्या हैं। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इजरायल के लिए जासूसी करने के मामले में आठ भारतीयों को सजा सुनाई गई है।
तिवारी से फोन पर होती है बात
तिवारी का परिवार उनसे फोन पर बात करता है। सप्ताह में दो बार उनकी बात हो जात है। भार्गव ने कहा, आज रविवार है और उम्मीद है कि उनसे फोन पर बात हो। हम उन्हें प्रोत्साहित करते हैं और कहते हैं कि भारत सरकार हमारे साथ है। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। वह डायबिटिक भी हैं और दिल की बीमारी भी है। उन्होंनेकहा कि पहले तो उन्हें कन्फाइनमेंट सेल में रखा गया था लेकिन अब उनके साथ एक सेल पार्टनर भी है। भार्गव ने कहा, इस मामले में कहीं भी पारदर्शिता नहीं है। कुछ भी बताया नहीं गया। वहां की न्याय व्यवस्था भरोसे के काबिल नहीं है।
बता दें कि कमांडर तिवारी एक नेविगेशन स्पेशलिस्ट थे और आईएनएस मगर पर तैनात थे। इसके अलावा वह ईस्टर्न नेवी की फ्लीट में भी नेविगेशन ऑफिसर थे। उन्होंने राजपूत क्लास के डिस्ट्रॉयर पर भी सेवा दी। रिटायर होने के बाद वह कतर जाने से पहले सिंगापुर के नौसैनिकों को ट्रेनिंग देते थे। वह सेना के पहले शख्स थे जिन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान मिला। गिरफ्तारी से पहले वह कतर के सैनिकों को ट्रेनिंग देते थे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved