भोपाल। विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार जोर पकड़ चुका है। कांगे्रस एवं भाजपा की प्रदेशभर में सभाएं तो हो रही हैं, लेकिन प्रचार में कांगे्रस सिर्फ रामभरोसे है। अकेले कमलनाथ ही प्रचार की कमान संभाले हैं, लेकिन वे भी उतना समय नहीं दे पा रहे हैं, जितना भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एवं अन्य नेता दे रहे हैं। दिग्विजयसिंह पर्दे के पीछे से सियासी चालें चल रहे हैं। उन्होंने प्रचार से दूरी बनाए रखी है, जबकि कुछ नेताओं ने अपने को सीमित कर लिया है। कांगे्रस नेता अरुण यादव हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांगे्रस के अध्यक्ष भी रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार अरुण यादव को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी है।
वे सिर्फ अपने प्रभाव वाले क्षेत्र खंडवा और खरगोन तक ही सीमित दिखाई दे रहे हैं। हालांकि वे कसरावद से अपने छोटे भाई सचिन यादव को जिताने के लिए काम कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंदसिंह इस बार लहार में घिरते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस के जनजाति नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया झाबुआ से प्रत्याशी हैंं। अजयसिंह राहुल सीधी जिले की चुरहट से फिर प्रत्याशी हैं। वे अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। सुरेश पचौरी भोजपुर सीट से टिकट चयन के बाद से नाराज हैं। थ अश्विन भी कंधे से कंधा मिलाकर इस चुनावी संघर्ष में कूद पड़े हैं।
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