वाराणसी (Varanasi)। किस्मत किसी की भी बदल (anyone’s luck change) सकती है। इनसान हो या जानवर (human or animal)। किस्मत का कुछ ऐसा ही फेर हुआ है वाराणसी (Varanasi) में जया नाम की एक कुतिया (bitch named Jaya) के साथ। नीदरलैंड की एक महिला (Netherlands Women) को वाराणसी की सड़कों पर आवारा घूमने वाली ‘जया’ इतनी पसंद आ गई कि वह उसे अपने साथ ले जाना चाहती है। वाकायदा पासपोर्ट और वीजा (Passport and Visa) के साथ।
जया की नई मालकिन नीदरलैंड (Netherlands ) की है। नाम है मेराल बोंटेनबेल (Meral Bontenbel) है। मेराल बताती है- मैं एम्स्टर्डम, नीदरलैंड से हूं। मैं यहां यात्रा करने और शहर में घूमने आई थी। जब मैं इधर-उधर घूम रही थी…जया हमारे पास आई। वह बहुत प्यारी है। वह हमसे घुलना-मिलना चाहती थी। इसके बाद वह हमारे साथ चलने लगी। तभी एक कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया। तब एक गार्ड ने उसे बचाया।
मेराल कहती है कि पहले जया को गोद लेने का कोई इरादा नहीं था। मैं बस यही चाहती थी कि वह सड़कों पर आवारा न फिरे। मगर अब मैं खुश हूं। उसे ले जाने के लिए एक लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए मुझे छह महीने इंतजार करना पड़ेगा। मैं हमेशा से एक कुत्ता पालना चाहती थी। मगर अब मुझे जया से प्यार हो गया है।
मिर्जापुर : एसी फर्स्ट क्लास में बेटिकट जा रहा था कुत्ता, टीटी ने बनाया टिकट
महाबोधि एक्सप्रेस के एसी फर्स्ट क्लास में बिना टिकट बनवाए कुत्ते के साथ सफर कर रहे यात्री को पीडीडीयू जंक्शन में टीटी ने जांच के दौरान पकड़ लिया। इसके बाद कुत्ते का टिकट बनवाया गया। फिर उसे आगे की यात्रा की अनुमति दी गई।
दरअसल, रेलवे में ट्रेन में कुत्ते के साथ सफर करने के लिए नियम कानून हैं। कुत्ते का भी टिकट बनवाना पड़ता है। ट्रेन की एसी फर्स्ट क्लास में पूरा केबिन बुक होने पर ही कुत्ते के साथ सफर किया जा सकता है। स्लीपर या जनरल या एसी सेकेंड क्लास में कुत्ते के साथ सफर की किसी को अनुमति नहीं है।
कुत्ते का टिकट बना भी है तो भी उसे स्लीपर या जनरल या एसी सेकेंड क्लास में सफर के दौरान यात्री अपने साथ नहीं रख सकते। यात्रा के दौरान कुत्ते को गार्ड को देना होगा, जो उसे पिंजरे में रखेगा। सिर्फ एसी फर्स्ट क्लास में टिकट बनवाकर कुत्ते के साथ सफर किया जा सकता है।
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