नई दिल्ली (New Dehli) । ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग (successful soft landing)के बाद अब दोबारा चांद की यात्रा तैयारी (Preparation)कर रहा है। खबर है कि भारतीय स्पेस एजेंसी (Indian Space Agency)ने चांद पर जाने के लिए जापान (Japan)की JAXA या जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (Japan Aerospace Exploration Agency)के साथ साझेदारी की है। दोनों मिलकर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) पर काम कर रहे हैं, जिसे चंद्रयान-4 भी कहा जा रहा है।
क्या है LUPEX का मकसद?
जापानी स्पेस एजेंसी के मुताबिक, JAXA भारत के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि चांद पर पानी है या नहीं। अगस्त को ही चंद्रयान-3 के जरिए चांद पर पहुंचे ISRO के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह पर पानी होने के संकेत दिए थे। भारत की इस सफलता को काफी अहम माना जा रहा था। इसके अलावा भी प्रज्ञान ने तत्वों की खोज समेत धरती पर कई बड़ी जानकारियां भेजी थी।
कैसा होगा मिशन
JAXA के अनुसार, LUPEX का काम पानी और अन्य संसाधनों के लिए चांद की सतह पर खोज करना। साथ ही चांद की सतह पर घूमने में विशेषज्ञता हासिल करना है। यह प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्री साझेदारी का है, जिसके तहत JAXA ने लूनर रोवर की जिम्मेदारी उठाई और ISRO लैंडर तैयार करेगा, जो रोवर को लेकर जाएगा।
इसके साथ ही यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और NASA यानी नेशनल एयरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से तैयार किए गए कुछ उपकरण भी रोवर पर लगाए जाएंगे।
कब होगा लॉन्च और क्या होगा लॉन्च व्हीकल
जापानी स्पेस एजेंसी के मुताबिक, LUPEX को साल 2025 में H3 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जा सकता है। रोवर को मिलाकर इसके पेलोड का कुल वजन 350 किलोग्राम से ज्यादा का होगा। साथ ही यह 3 महीनों से ज्यादा समय तक काम करेगा। खास बात है कि LUPEX भी चांद के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में लैंड करेगा, जहां पहुंचने का कीर्तिमान भारत पहले ही स्थापित कर चुका है।
इस मिशन में ISRO की ओर से सैंपल एनालिसिस पैकेज (ISAP), ग्राउंड पैनेट्रेटिंग रडार (GPR) और मिड-इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर जाएंगे। जबकि NASA न्यूरोन स्पेक्ट्रोमीटर (NS) और ESA एक्सोस्फेरिक मास स्पेक्ट्रोमीटर फॉर लुपेक्स (EMS-L) भेजेगा।
जनवरी 2020 में ही JAXA ने इस मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। उस दौरान ही ISRO के साथ मिलकर काम करने के लिए एक बड़ा मैनेजमेंट प्लान भी तैयार किया गया था।
चंद्रयान-3 के ताजा हाल
ISRO ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जुलाई में चंद्रयान-3 लॉन्च किया था, जिसके बाद 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंडिंग की। करीब 14 दिन (चांद का 1 दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है) तक रोवर प्रज्ञान ने जानकारियां जुटाईं। इसके बाद सितंबर की शुरुआत में स्लीप मोड में डाल दिया गया था। फिलहाल, भारतीय स्पेस एजेंसी दोनों को दोबारा जगाने की कोशिश में लगी हुई है। ISRO पहले ही साफ कर चुका था कि अगर प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर नहीं जागते हैं, तो भी चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved