इंदौर (Indore)। शहर में वाहन चोरी पुलिस के लिए एक सिरदर्द बना हुआ है। इस साल 10 माह में शहर से 2500 गाडिय़ां चोरी हो गईं। सबसे अधिक गाडिय़ां झोन-2 से चोरी हो रही हैं। शहर में पिछले कुछ सालों से वाहन चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पहले हर दिन दस के लगभग गाडिय़ां चोरी हो रही थीं, जो अब बढक़र पंद्रह से अधिक हो गई हैं। पुलिस लाख प्रयास के बाद भी वाहन चोरी पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। लॉकडाउन हो या फिर आचार संहिता का दौर, वाहन चोरी की घटनाएं हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, जबकि पुलिस अलर्ट मोड पर है।
इस साल के प्रथम दस माह की बात करें तो पुलिस रिकार्ड के अनुसार 2500 गाडिय़ां चोरी हुई हैं। इनमें झोन 1, 3 और 4 में 500 के लगभग गाडिय़ां चोरी हुई हैं, लेकिन झोन-2 ने रिकार्ड तोड़ दिया है। यहां दस माह में 957 गाडिय़ां चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज हुई हैं। यह नया इंदौर का क्षेत्र है, जिसमें विजयनगर, लसूडिय़ा, एमआईजी, खजराना, कनाडिय़ा, तिलकनगर शामिल हैं। यहां बाजार, पब, हास्पिटल और कॉलोनियां हैं। जहां सबसे अधिक वाहन चोरी हो रही हैं। रिकार्ड के अनुसार हर माह शहर से 250 गाडिय़ां चोरी हो रही हैं।
पुलिस का एक ही जवाब
इस संबंध में जब भी किसी पुलिस अधिकारी से बात की जाए तो उनका कहना है कि वाहन चोरी के पीछे देवास का कंजर और धार-टांडा का गिरोह प्रमुख है। पुलिस ने कई बार इनके यहां छापे मारे और बड़ी संख्या में वाहन जब्त किए हैंं, लेकिन इसके बावजूद वाहन चोरी रुकने का नाम नहीं ले रही है, बल्कि बढ़ रही है। गाडिय़ां कहां जा रही हैं, इस पर पुलिस का कहना है कि या तो काटकर बेची जा रही है या फिर दूसरे जिलों में औने-पौने दाम पर बेच दी जाती है।
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