नई दिल्ली (New Dehli) । अहमदाबाद (Ahmedabad)में 52 वर्षीय मरीज चंद्रप्रकाश (moon light)गर्ग को दिल के ट्रांसप्लांट (transplant )की जरूरत थी। इस मामले में दुर्घटना (Accident)में मारे गए एक व्यक्ति का दिल मिला, जिसे नई तकनीक से गर्ग के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। एशिया में पहली बार एक बूंद भी खून बहे बिना मरीज के दिल का सफल ट्रांसप्लांट का दावा किया गया है। मरीज को केवल 9 दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जबकि सामान्य मामलों में 25 दिनों में छुट्टी मिलती है।
डॉ. राजीव सिंघल ने बताया कि अहमदाबाद में 52 वर्षीय मरीज चंद्रप्रकाश गर्ग को दिल के ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। इस मामले में दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति का दिल मिला, जिसे नई तकनीक से गर्ग के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. धीरेन शाह और धवल नाइक की टीम ने बिना एक बूंद खून बहे इसे पूरा किया। सामान्य हृदय प्रत्यारोपण और इस तकनीक के जरिये किए जाने वाले इलाज की लागत बराबर ही होती है। साथ ही किसी भी दूसरे व्यक्ति के खून चढ़ाने का जोखिम भी नहीं होता है। बाहरी खून लेने से मरीज के मरने और अस्पताल में ज्यादा दिन रहने का होता है खतरा
20 लाख यूनिट खून की कमी
भारत में 20 लाख यूनिट खून की कमी है। ऐसे में अगर यह तकनीक अपनाई जाती है तो बड़े पैमाने पर लाखों लोगों को खून मिल सकता है और उनका जीवन बच सकता है। साथ ही भारत में ऑर्गन डोनेशन की दर केवल एक फीसदी है जो अमेरिका में 30 फीसदी है। इस समय इस दर को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बच सके।
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