नई दिल्ली (New Dehli) । महिलाओं (women)के लिए गर्भनिरोधक (contraception)गोलियां तो आसानी से उपलब्ध (Available)हो जाती हैं लेकिन इस तरह का कोई उपाय पुरुषों (men)के लिए उपलब्ध नहीं है। ICMR को इस दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी है। सात साल के क्लीनिकल टेस्ट के बाद ICMR ने स्पष्ट कर दिया है कि पुरुषों के लिए भी गर्भनिरोधक गोली तैयार है जिसका कोई बुरा प्रभाव नहीं है। यह गर्भनिरोधक लंबे समय तक असर करता है। बता दें कि सात साल में आईसीएमआर ने 303 स्वस्थ लोगों पर इसका प्रयोग किया।
इंटरनेशनल जर्नल ऐंड्रोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक तीसरे चरण की स्टडी में 303 युवाओं को शामिल किया गया था। ये सभी विवाहित थे और इनकी उम्र 25 से 40 साल के बीच थी। इन्हें 60 एमजी रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस (RISUG) दिया गया था। अध्ययन में पाया गया कि RISUG बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के प्रेग्नेंसी रोकन में 99.02 फीसदी कारगर है। इसने 97.3 फीसदी एजूस्पर्मिया की स्थिति बना दी। यह एक मेडिकल टर्म है जिसका मतलब कि सीमेन में कोई भी ऐक्टिव स्पर्म प्रवेश नहीं कर रहा है।
अध्ययन में जिन पुरुषों पर टेस्ट हुआ था उनकी पत्नियों का भी चेकअप किया गया। पाया गया कि किसी महिला पर भी इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं था। सभी एकदम स्वस्थ थीं। बता दें कि RISUG पॉलीमेरिक एजेंट, स्टाइरीन मेलिक एनहाइड्राइड को मिथाइल सल्फोक्साइड के साथ स्पर्म डक्ट तक पहुंचाता है। आईआईटी खडगपुर के डॉ सुजॉय कुमार गुहा ने इस डिवेलप किया था। इसके बारे में पहले पेपर 1979 में प्रकाशित किया गया था। हालांकि इसके तीसरे चरण का क्लीनिकल टेस्ट पूरा होने में दशकों का समय लग गया।
इसकी हॉस्पटिल बेस्ड स्टडी पांच शहरों में की गई जिसमें जयपुर, नई दिल्ली, खडगपुर, उधमपुर और लुधियाना शामिल हैं। इसके बाद दो मुख्य बातों का पता लगाया जा सका कि यह गर्भनिरोधक कितने समय तक कारगर है और कितना सुरक्षित है। स्टडी में पता चला कि कुछ पुरुषों को थोड़ी दिक्कत हुई जो कि आसानी से खत्म हो गई। पेशाब में जलन या बुखार जैसी समस्या सामने आई थी। इसका फायदा यह है कि एक बार लेने के बाद यह लंबे समय तक काम करता है। इसके अलावा साइड इफेक्ट भी नगण्य है। यह भी पता चला है कि कॉन्डोम ब्रेकेज की तुलना में इसके फेल्योर रेट काफी कम है।
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