• img-fluid

    विजयवर्गीय ने पताका फहराई तो दादा दयालु ने घर-घर पैठ बनाई

  • October 18, 2023

    • मजदूरों के इलाके से पूरे शहर में खड़ा हुआ भाजपाई नेतृत्व…

    इंदौर (Indore)। क्षेत्र क्रमांक 2 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनौती देने वाले चिंटू चौकसे अपने क्षेत्र के लिए परिचित नाम हो सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के विधायक रमेश मेंदोला क्षेत्र ही नहीं प्रदेश में भी लोकप्रिय हैं। कुछ लोग उन्हें रॉबिनहुड कहते हैं तो कुछ दादा दयालु। गरीबों के लिए मसीहा के नाम से विख्यात मेंदोला के इलाके के कई घरों में आधिकारिक रूप से मुखियागीरी है… वो उनके ऐसे खैरख्वाह हैं कि शादी हो या बीमारी… खुशी हो गया गम… घरेलू झगड़े हों या बाहरी विवाद, सबका निर्णय, नियंत्रण और साझेदारी रखते हैं। मजदूरों के इस इलाके से पूरे शहर में जहां भाजपाई नेतृत्व खड़ा हुआ, वहीं विजयवर्गीय की विरासत को चरम पर पहुंचाने वाले रमेश मेंदोला ने धर्म के मार्ग से लेकर कर्म को प्रमुखता देते हुए ऐसा वर्चस्व बनाया कि इलाका भाजपाई नहीं मेंदोलाई हो गया, जिसका प्रमाण 2013 के लोकसभा चुनाव में तब नजर आया, जब मेंदोला के इशारे पर क्षेत्र की जनता ने सुमित्रा महाजन को नकार दिया और वो किनारे की जीत पर अपनी सीट बचा पाईं।

    कभी कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाने वाली मिल क्षेत्र की इस सीट पर मजदूर के बेटे के रूप में कैलाश विजयवर्गीय ने दावेदारी की तो मतदाताओं को अपनत्व का एहसास हुआ और कांग्रेस के अहंकारी कदम क्षेत्र से ऐसे उखाड़े कि दोबारा कोई प्रत्याशी खड़ा भी हुआ तो लडख़ड़ाता हुआ। विजयवर्गीय ने इस क्षेत्र में मतदाताओं के साथ ही नेताओं की भी ऐसी फौज खड़ी कर दी, जो क्षेत्र के घर-घर में अधिकार के रूप में स्थापित होने लगी। जैसे-जैसे विजयवर्गीय का कद बढ़ता गया, वैसे-वैसे क्षेत्र निखरता गया। अपने महापौरकाल में विजयवर्गीय ने क्षेत्र क्रमांक 2 को मिल एरिया के दाग से निकालकर समृद्ध क्षेत्र में स्थापित कर डाला। गली-गली में सडक़, पानी, बाग-बगीचे, खेल के मैदान, अस्पताल नजर आने लगे। धार्मिक आयोजन, भोजन-भंडारे, कथा-प्रवचन की गंगा क्षेत्र में बहने लगी।


    विजयवर्गीय के इन संकल्पों का नेतृत्व क्षेत्र में जहां उनके सिपहसालार रमेश मेेंदोला करने लगे, वहीं विजयवर्गीय ने प्रदेश का रुख कर लिया। मित्रता के लिए मशहूर विजयवर्गीय ने मन ही मन मेंदोला को प्रदेश में स्थापित करने का मन बना लिया था, लेकिन जब विजयवर्गीय ने अपनी मंशा नेतृत्व को जताई तो उनकी प्रतिद्वंद्वी सुमित्रा महाजन ने मेंदोला को इस शर्त पर सीट की मांग कर डाली कि विजयवर्गीय अपनी सीट छोड़ें और स्वयं को हारी हुई सीट पर दांव पर लगाएं। मित्रता के लिए स्वयं को न्योछावर करने की मिसाल देते हुए विजयवर्गीय ने अपने समर्पित मित्र के लिए यह शर्त भी स्वीकार कर ली और स्वयं महू की हरल्ली सीट की ओर रुख कर लिया। विजयवर्गीय के इस निर्णय से मेंदोला को अपनी उम्मीदवारी की खुशी से ज्यादा विजयवर्गीय के क्षेत्र छोडऩे और खुद को दांव पर लगाने का गम था, लेकिन विजयवर्गीय ने यह कहकर शांत किया कि नेतृत्व पर विश्वास के लिए यह परीक्षा आवश्यक है। मेंदोला उस चुनाव में पूरे समय विजयवर्गीय के क्षेत्र में सक्रिय रहे और अपना चुनाव कार्यकर्ताओं के बूते पर लड़ा और न केवल खुद जीते, बल्कि विजयवर्गीय ने भी जीत हासिल कर प्रतिद्वंद्वियों को करारा जवाब दिया। तब से लेकर अब तक मेंदोला उस क्षेत्र के स्थायी मसीहा बन गए और विजयवर्गीय उनके मार्गदर्शक। नेतृत्व ने भी मेंदोला-विजयवर्गीय की जोड़ी और शक्ति को भांप लिया और दोनों को प्रदेश की कई चुनावी चुनौतियों में झोंका जाने लगा।

    हैरत की बात यह है कि हर चुनौती में सफल होने के बावजूद मेंदोला को कभी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनाया गया और उसका कारण यह भय रहा कि विजयवर्गीय-मेंदोला की बढ़ती शक्ति प्रदेश के नेतृत्व के लिए चुनौती न बन जाए। कुल मिलाकर क्षेत्र में सफल और प्रदेश में संकटमोचक मेंदोला उपयोग में याद किए जाने वाले और काम निकलने पर भुलाए जाने वाले ऐसे योद्धा हैं, जो जीत का जश्न तो मना सकते हैं, लेकिन नेतृत्व के गीत नहीं गा सकते। इस क्षेत्र में विजय उनके लिए कोई चुनौती नहीं है, क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों के मत ही नहीं मन भी उनके साथ हैं। अब यदि उनके प्रतिद्वंद्वी चिंटू चौकसे की बात करें तो कांग्रेस के पास मेंदोला से मुकाबले के लिए और कोई नाम नहीं है। चिंटू चौकसे की अपने वार्ड में अच्छी पकड़ है और टिकट देने का एक कारण यह भी है कि उन्होंने अपने वार्ड से मेंदोला समर्थक प्रत्याशी को हराया है, इसलिए कांग्रेस अब इस संभावना को तलाश रही है कि चिंतामण चौकसे अब मेंदोला को भी हरा सकते हैं। अब तो यह परिणाम बताएगा कि चिंटू गढ़ को कितना भेद पाएंगे।

    Share:

    कांग्रेस नेता सिद्धार्थ तिवारी बीजेपी में शामिल, पूर्व विधायक फुंदरलाल चौधरी चौधरी ने भी ली सदस्यता

    Wed Oct 18 , 2023
    भोपाल। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी (Former Assembly Speaker Srinivas Tiwari) के पोते सिद्धार्थ राज तिवारी बुधवार को भाजपा (BJP) में शामिल हो गए। भोपाल में BJP कार्यालय में उन्होंने सदस्यता ली। सिद्धार्थ कांग्रेस (Congress) के टिकट पर रीवा से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वे रीवा की त्योंथर सीट से कांग्रेस का टिकट […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    बुधवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved