नई दिल्ली (New Delhi)। मां आदि शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda Puja Vidhi) को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा माता (Maa Kushmanda Puja Vidhi) की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा अष्टभुजाओं की देवी कहलाती है।
मान्यता है कि जो साधक नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है सुख-सौभाग्य की प्राप्ति (attainment of happiness and good fortune) होती है। साथ ही जातक का बु्द्धि, विवेक और यश बढ़ता है। यह भी माना जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से जातक के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेजस्वी वाली हैं। चलिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि, मंत्र और विशेष आरती जानते हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन बन रहे हैं ये 6 शुभ संयोग:
नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को सौभाग्य योग, रवि योग, आयुष्मान योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और वणिज करण योग बन रहे हैं। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ संयोग में मां कुष्मांडा की पूजा-उपासना करने से कई गुना अधिक फल मिलता है और जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
मां कुष्मांडा की पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठें। स्नादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और घर का मंदिर साफ करें। इसके बाद मां दुर्गा के सामने घी का दीपक प्रज्जवलित करें। उन्हें धूप, दीप, फल,फूल, सिंदूर, अक्षत और कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद पूरे विधिविधान से माता रानी की पूजा करें। उन्हें भोग लगाएं और बीज मंत्र का जाप करें। आप चाहे तो मां कुष्मांडा देवी स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं। इसके बाद सभी देवी-देवताओं के साथ मां कुष्मांडा की आरती उतारें और सुख-समृद्धि की काम करें।
माता रानी का प्रिय फूल और रंग:
मां कुष्मांडा को लाल रंग बहुत प्रिय है। इसलिए पूजा में आप उन्हें गुड़हल या गुलाब का फूल अर्पित कर सकते हैं।
मां कुष्मांडा का प्रिय भोग:
मां कुष्मांडा को मालपुआ बेहद प्रिय है। नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी को प्रसन्न करने के लिए मालपुए का भोग लगा सकते हैं।
मां कुष्मांडा का मंत्र:
नवरात्रि के चौथे दिन मां भगवती की कृपा पाने के लिए उनके कुछ विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
1.बीज मंत्र: ऐं ही दैव्ये नमः
2.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
मां कुष्मांडा की आरती-
कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचाती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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