पूर्व मंत्री वर्मा ने बना लिया था प्रतिष्ठा का प्रश्न, आखिर टिकट ले ही आए
इंदौर। सिंधी (Sindhi) बहुल विधानसभा में एक बार फिर कांग्रेस (Congress) ने सिंधी प्रत्याशी को उतारकर समाज को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है। चार नंबर विधानसभा से दो ही नाम थे, जिसमें एक नाम राजा मंघवानी तो दूसरा नाम अक्षय बम का था। बम दिग्गी खेमे से तो मंघवानी पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा (Former minister Sajjan Singh Verma) के मार्फत सीधे कमलनाथ के दरबार से जुड़ गए थे, जिसका फायदा उनको मिला।
चार नंबर में वर्मा ने इस टिकट को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। मंघवानी सीधे सज्जनसिंह वर्मा से जुड़े हुए हैं और उन्होंने आखरी समय तक अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी। मंघवानी ने कार्यकर्ताओं के सम्मेलन भी करना शुरू कर दिए थे और अपने आपको क्षेत्र में सक्रिय कर लिया था। यहां से अक्षय बम भी पूरी दमदारी से अड़े रहे और दशहरा मैदान के सामने अपना लंबा-चौड़ा कार्यालय बना लिया था। उनके समर्थकों का कहना था कि दिग्विजयसिंह की ओर से उन्हें इशारा कर दिया है और वे चुनावी तैयारियों में जुटे गए हैं। यहां तक कि उन्होंने बूथ स्तर पर समितियां तक बना ली थी, लेकिन कल ऐनवक्त पर उनके नाम की जगह राजा मंघवानी का नाम आगे आ गया। मंघवानी सिंधी समाज की कई संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। चूंकि चार नंबर में सिंधी मतदाताओं की संख्या अधिक हैं और अधिकांश व्यापारिक क्षेत्र हैं, इसको लेकर भी मंघवानी को टिकट दिया गया है। दिग्विजसिंह के इस नाम पर आखरी में कमलनाथ ने वीटो कर दिया था और उनका नाम तय हो गया।
सिंधी समाज में ही है कई गुट, कुछ भाजपा से भी जुड़े
पार्टी ने राजा मंघवानी का नाम तो कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस में गुटबाजी से निपटना उनके लिए बड़ी चुनौती रहेगा, वहीं सिंधी समाज में कुछ गुट भाजपा से जुड़े हुए हैं, जिनको साधना भी मंघवानी के लिए चुनौती हैं। वैसे कांग्रेस का अपना सिंधी वोट बैंक हैं और व्यापारिक इलाके होने का फायदा मंघवानी को मिल सकता है।
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