नई दिल्ली (New Delhi)। हमास के हमले के बाद इस्राइल की एक अपील पर लोग दूसरे देशों से छुट्टियां बीच में छोड़कर भी घर लौट रहे हैं। इनमें से कुछ हनीमून पर थे तो कुछ विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। कई तो विदेश में बस गए थे लेकिन युद्ध के बाद वापस अपने देश आ रहे हैं। इस्राएल की ओर जाने वाले विमानों में जगह मिलना मुश्किल हो गया है. पिछले हफ्ते युद्ध का ऐलान करने के बाद इस्राएल ने अपने साढ़े तीन लाख से ज्यादा आरक्षित सैनिकों को मोर्चे पर वापस बुलाया था। उस अपील पर सेना को असाधारण प्रतिक्रिया मिली है और लोग छुट्टियां बीच में छोड़कर भी घर लौट रहे हैं। इनमें से कुछ हनीमून पर थे तो कुछ विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क में एक टेक कंपनी में काम करने वाले 24 वर्षीय श्टाइनर ने कहा, हर कोई लौट रहा है। किसी ने भी इन्कार नहीं किया है। लिथुआनिया में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे 23 वर्षीय निमरोद नेदान ने कहा, जब देश को जरूरत है, तो मैं यहां बैठकर डॉक्टरी नहीं पढ़ सकता। उधर, फलस्तीन से लड़ाई के बीच वतन की रक्षा के लिए करीब 600 इस्राइली पर्यटक हिमाचल प्रदेश से स्वदेश लौट गए। 6 से 8 अक्तूबर तक मनाए गए सिमचट तोराह उत्सव के लिए अधिकतर इस्राइली पार्वती घाटी के कसोल में जमा हुए थे।
प्रोफेसर ने लगाई पत्नी की इस्राइल से सुरक्षित वापसी की गुहार
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. रमेश ने इस्राइल में फंसी अपनी पत्नी डॉ. राधिका की सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। रमेश ने बताया कि राधिका दो महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए इस्राइल गई थीं। वहां जारी संघर्ष के चलते वह संकट में फंस गई हैं।
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