गुवाहाटी (Guwahati)। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि (Navratri 2023) का खास महत्व है। मां दुर्गा की उपासना के लिए साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है, दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रत्यक्ष (चैत्र और शारदीय) नवरात्रि (Navratri 2023) होती है। हिंदू धर्म में नौ दिन के नवरात्रों को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. इसमें नौ दिनों तक व्रत रखने के साथ ही माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. साल के अंत में आने वाले शारदीय नवरात्र इस बार 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे हैं और इनका समापन 24 अक्टूबर को होगा.
पौराणिक कथा के मुताबिक माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के व्यवहार से नाराज होकर अपने शरीर को अग्नि में समर्पित कर दिया था. जिसके बाद महादेव ने अपने शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे. जिसके संसार में प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई. तब सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई भागों में विभक्त कर दिया. कहा जाता है कि माता सती के शरीर के हिस्से जहां-जहां गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए. मान्यता है कि माता सती का योनि भाग कामाख्या में गिरा. जिस कारण उसे शक्तिपीठ के नाम से जाना जाने लगा.
यहां कुंड की होती है पूजा
कहा जाता है कि 51 शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ माहापीठ है. इस शक्तिपीठ में माता की प्रतिमा स्थापित नहीं है. भक्त मंदिर में बने कुंड की पूजा करते हैं. इस कुंड को फूलों के ढक कर रखा जाता है.
नदी का पानी हो जाता है लाल
कहते हैं कि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी 3 दिन के लिए लाल हो जाता है. कहा जाता है कि जब मां कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं तो उस दौरान नदी का पानी लाल हो जाता है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं.
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